छींक का आना एक स्वभाविक प्रक्रिया है। यह किसी को भी किसी भी वक्त आ सकती है। इंसान हो या जानवर छींक सभी को आती है। कई बार छींक तेज धूप की वजह से आ जाती है और कई बार धूल की वजह से। कई बार छींक के आने की कोई वजह नहीं होती है।
यह अनायास ही आ जाती है, लेकिन भारतीय ज्योतिष में छींक के कई मायने और मतलब है जिनके बार में बहुत ही कम लोग जानते हैं, लेकिन यह लगभग सभी लोग जानते हैं कि यदि आप कहीं की यात्रा के लिए या घर से बाहर निकल रहे हैं और उसी समय आपको या किसी अन्य को छींक आ जाए तो यह बुरा होता है। आज हम आपको छींक के सभी मतलब बताएंगे। साथ ही यह भी बताएंगे कि कौन-सी छींक शुभ होती है और कौन-सी अशुभ?
भारतीय ज्योतिष में छींक का अर्थ
छींक प्रायः सभी दिशाओं की खराब होती है। अपनी छींक तो महा-अशुभ है। गौ की छींक मरण करती है। बायीं ओर छींक हो तो दोषकारक नहीं है। छींक को लेकर एक लोकोक्ति है कि ‘एक नाक दो छींक, काम बने सब ठीक’। कहा जाता है कि ‘सम्मुख छींक लड़ाई भाखे। छींक दाहिने द्रव्य विनाशे॥ ऊंची छींक कहे जयकारी। नीची छींक होय भयकारी।।
शुभ और अशुभ छींक
कन्या, विधवा, मालिन, धोबिन, वेश्या, रजस्वला स्त्री की छींक विशेष अशुभ होती है। आसन, शयन, शौच, दान, भोजन, औषधि सेवन, विद्यारम्भ और बीज बोने के समय, युद्ध या विवाह, सर्दी से होने वाली छींक, बच्चे और बूढ़े की छींक तथा हठ से छींकना विफल होता है। कोशिश करने पर भी यदि छींक न रुके तो मनुष्य जिस काम के लिए जा रहा हो उसमें विघ्न अवश्य होगा।