वृष- इ, उ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
वर्षारम्भ में व्यय भाव का गुरु 1 मई से आपकी ही राशि में संचरण करने लगेगा। जो मध्यमफल कारक है। सामाजिक मान सम्मान में कमी आएगी। रोजी-रोजगार में कठिन परिश्रम करना पड़ेगा तथा कुछ विघ्न-बाधाएं भी आएंगी। पैसे की कमी रहेगी तथा बौद्धिक क्षमता कुछ मन्द पड़ जाएगी। झगड़ा झंझट से दूर रहना ही हितकारक होगा अन्यथा अनावश्यक की परेशानी हो जाएगी। कार्य विलम्ब से पूरे होंगे और कष्टकर यात्रायें करनी पड़ सकती है।
आपके हाथ में काम तो रहेगा किंतु उसके प्रतिफल से आप संतुष्ट नहीं रहेंगे। इस प्रकार शनि एवं गुरु दोनों ही कुछ मन्द फल प्रदान कर रहे है अतः इनकी शान्ति करते रहने से परेशानियों कठिनाइयों में भी रास्ता निकलता रहेगा। गुरु की शान्ति के लिये चने की दाल, हल्दी, गुड़ का लड्डू बनाकर प्रत्येक गुरुवार को गाय को खिलावें। भारंगी अथवा केले की जड़ को पीला कपड़ा में बाँधकर दाहिने हाथ की भुजा में गुरुवार को धारण करें। खराब हो जाय तो उसको बदलते रहें।
शनि की शान्ति के लिये हनुमान जी की पूजा- आराधना दर्शन प्रत्येक शनिवार को अवश्य करें। “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” तथा ॐ शं शनैश्चराय नमः का 1-1 माला जप नित्य करते रहें। लाभ स्थान का राहु अचानक लाभ करवाता रहेगा तथा काम बनाता रहेगा धार्मिक रुचि को बढ़ायेगा। पंचम भाव का केतु पुत्रों को कुछ कष्ट पहुँचा सकता है।