पितृ पक्ष में श्राद्ध का बहुत ही महत्व है। धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि पितरों को पिण्डदान करनेवाला गृहस्थ दीर्घायु, पुत्र-पौत्रादि, यश, स्वर्ग, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, सुख-साधन तथा धन-धान्यादि की प्राप्ति करता है। यही नहीं, पितरों की कृपा से ही उसे सब प्रकार की समृद्धि, सौभाग्य, राज्य तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्राद्ध को लेकर एक सवाल हमेशा सामने आता है कि किस ब्राह्मण से श्राद्ध कराना चाहिए। आइए जानते हैं…
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Pitru Paksha 2024: श्राद्ध में ब्राह्मण
सर्वलक्षणसंयुक्तैर्विद्याशीलगुणान्वितैः पुरुषत्रयविख्यातैः सर्वं श्राद्धं प्रकल्पयेत् ॥ अर्थात् समस्त लक्षणों से सम्पन्न, विद्या, शील एवं सद्गुणों से सम्पन्न तथा तीन पुरुषों (पीढ़ियों)-से विख्यात ब्राह्मणों के द्वारा श्राद्ध सम्पन्न करें।
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Pitru Paksha 2024: श्राद्ध में वर्जित ब्राह्मण
खञ्जओ वा यदि वा काणो दातुः प्रेष्योऽपि वा भवेत्। हीनातिरिक्तगात्रो वा तमप्यपनयेद् बुधः ॥ अर्थात् लंगड़ा, काना, दाताका दास, अङ्गहीन एवं अधिक अङ्गवाला ब्राह्मण श्राद्ध में निषिद्ध है।
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न ब्राह्मणं परीक्षेत देवकार्येषु प्रायशः ।
पितृकार्ये परीक्षेत ब्राह्मणं तु विशेषतः ॥ (निर्णयसिन्धु)
यदि आप सनातन को जानते हैं तो निर्णयसिन्धु के बारे में भी आपने सुना होगा। सनातन धर्म में निर्णयसिन्धु पुस्तक से ही सभी तरह के निर्णय लिए जाते हैं और इसे सबसे ज्यादा प्रमाणिक माना गया है। निर्णयसिन्धु के मुताबिक देवकार्य, पूजा-पाठ आदि में ब्राह्मणों की परीक्षा (जांच) न करे, किंतु पितृकार्य में अवश्य करें।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यो की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर उत्तरदायी नहीं है।