Navratri 2024: इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत तीन अक्टूबर गुरुवार को हो रही है। मां भवानी का आगमन पालकी पर हो रहा है और विदा मुर्गा पर सवार होकर होंगी। नवरात्रि में देवी दुर्गा के नव स्वरूपों की पूजा-अर्चना होती है। नवरात्रि 12 अक्टूबर 2024 को खत्म होगी। आश्विन मास की प्रतिपदा तिथि दो अक्तूबर की रात्रि 12:18 बजे लगेगी और तीन अक्तूबर को रात्रि 2:58 बजे तक रहेगी। आइए कलश स्थापना मुहूर्त से लेकर पूजा विधि तक जानते हैं…
घटस्थापना मुहूर्त- 3 अक्तूबर गुरुवार प्रातः 6:15 बजे से प्रातः 7:22 बजे तक (कुल अवधि 1 घंटा 06 मिनट)
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक, (47 मिनट का समय मिलेगा)
कलश स्थापना के लिए ध्यान देने वाली बातें
कलश ईशान कोण प्रतिय या पूरब-उत्तर दिशा में स्थापित करें। कलश पर स्वास्तिक बनाएं और मौली बांधें। कलश पर अष्टभुजी देवी स्वरूप आठ आम के पत्ते लगाएं और रोली, चावल, सुपारी, लौंग, सिक्का अर्पित करते हुए वरुण देवता और आवाहित करें और कलश स्थापित करें। कलश के नीचे मिट्टी में जौ बोएं। इसके बाद देवी का आवाहन करें और षोडशोपचार पूजा करें।
कलश स्थापना का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि कलशस्य मुखे विष्णु: कंठे रुद्र: समाश्रित:। मूले तत्र स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणा: स्मृता:। इसका अर्थ है कि कलश के मुख में विष्णु, कंठ में रुद्र, मूल में ब्रह्मा, और बीच में मातृगणा हैं। कलश को ब्रह्मा, विष्णु, महेश और मातृगण का निवास बताया गया है। इसकी स्थापना करने से जातक को शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है। इस बार नवरात्रि के पहले दिन ऐन्द्र योग के साथ-साथ हस्त नक्षत्र का संयोग रहेगा, जो शुभ फलदायक रहेगा।
अखण्ड ज्योति के नियम
घी और तेल दोनों की अखण्ड ज्योति जला सकते हैं। घी का दीपक दाहिनी तरफ और तेल का दीपक बायीं तरफ होगा। दीपक में एक लौंग का जोड़ा अवश्य अर्पित करें।
नवरात्रि की तिथियां
- प्रतिपदा- 3 अक्तूबर, मां शैलपुत्री
- द्वितीय– 4 अक्तूबर, मां ब्रह्मचारिणी
- तृतीया- 5/6 अक्तूबर, मां चन्द्रघण्टा
- चतुर्थी- 7 अक्तूबर, मां कुष्मांडा
- पंचमी- 8 अक्तूबर, मां स्कंदमाता
- षष्ठी- 9 अक्तूबर, मां कात्यायनी
- सप्तमी– 10 अक्तूबर, मां कालरात्रि
- अष्टमी– 11 अक्तूबर, मां महागौरी
- नवमी– 12 अक्तूबर, प्रातः काल से 10:58 तक, उसके बाद विजय दशमी (दशहरा)
- नवरात्रि समापन- 12 अक्तूबर, सुबह 10:58 के बाद