Wedding Rituals: हिन्दू महिलाएं क्यों लगाती हैं मांग में सिंदूर, क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

सिंदूर का इस्तेमाल हिन्दू संस्कृति और परंपरा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। विवाहित महिलाओं के लिए मांग में सिंदूर लगाना शुभता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। महिला की मांग में सिंदूर का होना विवाहित होने का भी प्रमाण है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मांग में सिंदूर लगाने पीछे धार्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक क्या-क्या हैं?

धार्मिक कारण

पति की लंबी आयु का प्रतीक:
हिंदू धर्म में माना जाता है कि मांग में सिंदूर लगाने से महिलाओं का सौभाग्य बना रहता है और उनके पति की लंबी आयु होती है। यह परंपरा मां पार्वती और भगवान शिव की कथा से जुड़ी है, जहां देवी पार्वती ने अपने पति के कल्याण के लिए सिंदूर का इस्तेमाल किया।

सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक: सिंदूर को सौभाग्य, शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह विवाहित महिला की पहचान और उसके वैवाहिक जीवन की शुभता को दर्शाता है।

दुर्गा और लक्ष्मी का आशीर्वाद: सिंदूर को देवी दुर्गा और लक्ष्मी का प्रतीक भी माना जाता है। इसे मांग में लगाना देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने और जीवन में सुख-शांति बनाए रखने का उपाय है।

वैज्ञानिक कारण

पॉजिटिव ऊर्जा का संचार: सिंदूर में मुख्य रूप से हल्दी, चूना और पारा (Mercury) का मिश्रण होता है। यह मिश्रण मस्तिष्क में ठंडक बनाए रखने और तनाव को कम करने में मदद करता है।

मस्तिष्क के मध्य बिंदु पर प्रभाव: मांग का स्थान महिला के सिर का सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है। यहां सिंदूर लगाने से मस्तिष्क के नर्व सिस्टम को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे मानसिक शांति और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है।

रक्त संचार में सुधार: सिंदूर लगाने से मस्तिष्क और शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है। इसके पारे (Mercury) का हल्का प्रभाव मस्तिष्क को तनावमुक्त करता है और ठंडक प्रदान करता है।

प्रजनन क्षमता पर प्रभाव: वैज्ञानिक दृष्टि से माना जाता है कि सिंदूर में मौजूद तत्व महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बनाए रखने और हार्मोनल संतुलन में मदद करते हैं।

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