Mahashivratri 2025: 26 या 27 कब है महाशिवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम

Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। यह विशेष दिन शिव भक्तों के लिए अत्यंत शुभ होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था।

इसलिए इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है। महाशिवरात्रि का व्रत हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत व्यक्ति के कष्टों को दूर करता है और मनोकामनाएं पूर्ण करने में सहायक माना जाता है।

महाशिवरात्रि 2025 कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 बजे होगा और इसका समापन 27 फरवरी 2025 को सुबह 08:54 बजे होगा। चूंकि महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि में की जाती है, इसलिए इस वर्ष यह पर्व 26 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।

Mahashivratri 2025: शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि पर निशिता काल की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष निशिता काल पूजा का समय 26 फरवरी की रात 12:09 बजे से 12:59 बजे तक रहेगा। इस दौरान भक्तों को पूजा के लिए 50 मिनट का समय मिलेगा।

रात्रि के चार प्रहर में पूजा का समय

  • प्रथम प्रहर: 26 फरवरी को शाम 06:19 बजे से रात 09:26 बजे तक
  • द्वितीय प्रहर: 26 फरवरी को रात 09:26 बजे से 27 फरवरी को रात 12:34 बजे तक
  • तृतीय प्रहर: 27 फरवरी को रात 12:34 बजे से 03:41 बजे तक
  • चतुर्थ प्रहर: 27 फरवरी को सुबह 03:41 बजे से 06:48 बजे तक

महाशिवरात्रि व्रत के नियम

भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें: इस दिन शिव-पार्वती का विशेष पूजन करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
शिवलिंग का जलाभिषेक करें: गंगाजल, दूध, शहद, बेलपत्र, धतूरा और भांग से शिवलिंग का अभिषेक करने से व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है।

उपवास के नियम:

  • यदि आप व्रत कर रहे हैं, तो अन्न का सेवन न करें, केवल फलाहार करें।
  • निर्जला व्रत रखने वाले जल भी ग्रहण न करें।
  • शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद न ग्रहण करें: मान्यता है कि शिवलिंग पर अर्पित चीजें स्वयं ग्रहण नहीं करनी चाहिए।
  • सात्विक भोजन करें: इस दिन तामसिक भोजन, मांस, मदिरा और प्याज-लहसुन का सेवन न करें।
  • क्रोध और वाद-विवाद से बचें: इस दिन मन और वाणी को शांत रखें तथा सकारात्मक विचारों के साथ भगवान शिव की भक्ति करें।
  • दोपहर में न सोएं: महाशिवरात्रि व्रत में दिन में सोने की मनाही होती है।
  • शिव मंत्रों का जाप करें: “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप पूरे दिन करें, इससे जीवन की नकारात्मकता समाप्त होती है।

महाशिवरात्रि का महत्व

महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और भक्ति का अवसर है। इस दिन शिव भक्ति करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और रात्रि जागरण करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव कृपा से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सुख का वास होता है।

“हर-हर महादेव!”

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