
ॐ कालभैरवाय नमः। सनातन धर्म में कालाष्टमी (Kalashtami) का विशेष महत्व है ऐसी मान्यता है कि यह वह पुण्य तिथि है जब भगवान काल भैरव का प्राकट्य हुआ था। इस दिन साधक भगवान भैरव की उपासना कर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं तथा अपने जीवन से समस्त विघ्न-बाधाओं का नाश कर सुख-समृद्धि की ओर अग्रसर होते हैं। प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी कहा जाता है। इस दिन भगवान काल भैरव की विशेष साधना करने से व्यक्ति को अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है और उसे समस्त प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
मान्यता है कि जो साधक सच्चे मन से भैरव उपासना करता है, वह अदृश्य बाधाओं, रोगों, शत्रुओं और जीवन की समस्त नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रहता है। कालाष्टमी का दिन साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन की गई उपासना एवं दान व्यक्ति को आध्यात्मिक बल प्रदान करता है और समस्त संकटों से मुक्त करता है। भगवान काल भैरव की आराधना से साधक को दिव्य ऊर्जा प्राप्त होती है और वह आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होता है। भक्तिभाव से किए गए पूजन, जप और दान से जीवन में स्थायी शांति, सुरक्षा एवं समृद्धि आती है।
भगवान भैरव को प्रसन्न करने के उपाय
- दुग्ध अर्पण – प्रातःकाल भगवान बटुक भैरव को कच्चा दूध चढ़ाएं।
- मदिरा का भोग – कुछ स्थानों पर विशेष रूप से भगवान काल भैरव को मदिरा अर्पित की जाती है।
- भोग अर्पण – हलवा, पूरी, इमरती, जलेबी एवं पंचमेवा से बनी मिठाइयाँ अर्पित करना अत्यंत शुभ होता है।
- विशेष नैवेद्य – भैरव जी को उड़द, तिल एवं गुड़ से बने पदार्थ अर्पित करें।
- कुत्तों को भोजन कराना – काले कुत्तों को दूध और रोटी खिलाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
पूजा विधि
- प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- लकड़ी के पाट पर भगवान शिव, माता पार्वती एवं काल भैरव का चित्र स्थापित करें।
- गंगा जल से पवित्रीकरण कर पुष्प और चंदन अर्पित करें।
- चौमुखी दीपक प्रज्वलित कर गुग्गल धूप जलाएं।
- कुमकुम व हल्दी से तिलक कर संकल्प लें।
- भगवान शिव एवं माता पार्वती का पूजन कर आरती करें।
- तत्पश्चात भगवान काल भैरव का पूजन एवं भैरव चालीसा का पाठ करें।
- “ॐ ह्रीं उन्मत्त भैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- पितरों का स्मरण कर तर्पण एवं श्राद्ध करें।
- काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाकर उसका पूजन करें।
- रात्रि में दीपक, काले तिल एवं सरसों के तेल से काल भैरव की आराधना करें।
काल भैरव के शक्तिशाली मंत्र
बीज मंत्र:
“ॐ कालभैरवाय नमः।”
अन्य प्रभावशाली मंत्र:
“ॐ भयहरणं च भैरवः।”
“ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं।”
“ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।”
नारद पुराण के अनुसार, जो भक्त निष्ठापूर्वक काल भैरव की आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी रोग या संकट से पीड़ित हो, तो भैरव साधना उसे शीघ्र ही राहत प्रदान करती है।
कालाष्टमी के दिन दान का महत्व
दान से बढ़कर कोई पुण्य नहीं होता और कालाष्टमी पर दान करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन किए गए दान से पूर्व जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और अखंड शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
- भगवान भैरव को कच्चा दूध अर्पित करें एवं मंदिर में दान करें।
- जरूरतमंद को काले और सफेद रंग का वस्त्र अथवा कंबल भेंट करें।
- कुत्तों को रोटी एवं दूध खिलाएं।
- गाय को जौ, गुड़ एवं घी मिश्रित रोटी खिलाएं।
- सरसों का तेल, काले वस्त्र, कांस्य पात्र, तली हुई वस्तुएँ एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें।
काल भैरव आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।
जय काली गौरी, देवी कृत सेवा।।
तुम ही पाप उद्धारक, दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक, भीषण वपु धारक।।
वाहन श्वान विराजत, कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी, जय जय भयकारी।।