
Mahashivratri 2025 भगवान शिव की उपासना में पुष्पों का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जितने भी पुष्प श्रीहरि विष्णु को अर्पित किए जाते हैं, वे सभी महादेव, भूत भावन, जगत पिता शिव को समर्पित किए जा सकते हैं। किन्तु, केतकी तथा केवड़े के पुष्प शिव पूजन में वर्जित माने गए हैं। इस संबंध में वीर मित्रोदय, पूजा प्रकाश एवं अन्य धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से उल्लेख प्राप्त होता है।
शिव पूजन में अर्पित किए जाने योग्य पुष्प
भविष्य पुराण एवं अन्य धर्मग्रंथों में भगवान शंकर को अर्पित किए जाने योग्य पुष्पों का वर्णन मिलता है। इनमें-कनेर, आक, धतूरा, मंदार, कास, कटेरी, कुरैया, पाटला, अपराजिता, शमी, शंखपुष्पी, अपामार्ग (चिड़चिड़ा), कमल (नील व लाल दोनों), चमेली, नागचंपा, कुब्जक, खस, तगर, नागकेसर, पीले कटसरैया, जयंती, बेला, पलाश, बेलपत्र, केसर, नीलकमल आदि प्रमुख रूप से भगवान शिव को प्रिय माने गए हैं। वीरमित्रोदय ग्रंथ में तो यह भी उल्लेख मिलता है कि जल व थल में जितने भी सुगंधित पुष्प खिलते हैं, वे सभी भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय होते हैं तथा उन सभी को महादेव को अर्पित किया जा सकता है।
शिव पूजन में वर्जित पुष्प
इन पुष्पों की भगवान शंकर को अर्पित नहीं करना चाहिए।
कदंब पुष्प – इस विषय में शास्त्रों में विभिन्न मत प्राप्त होते हैं। किसी ग्रंथ में इसे सर्वसिद्धिदायक बताया गया है, तो किसी अन्य ग्रंथ में इसे वर्जित कहा गया है। वीरमित्रोदय में उल्लेख मिलता है कि भाद्रपद मास में कदंब पुष्प से शिव आराधना करने से समस्त मनोरथ पूर्ण होते हैं।
बकुल पुष्प – इसे संध्या काल में अर्पित करना शुभ माना गया है, परंतु अन्य समय में यह वर्जित है।
कुंद पुष्प – माघ मास में कुंद पुष्प शिव को चढ़ाने से पुण्य की प्राप्ति होती है, लेकिन अन्य महीनों में इसका निषेध किया गया है।
अन्य निषिद्ध पुष्प – शास्त्रों में उल्लेख है कि बिना सुगंध वाले पुष्प, गाजर, बहेड़ा, कैथ, कपास, गंभारी, सेमल, अनार, सर्ज, धव, मदन्ति, जूही, कुंद एवं दुपहरिया के पुष्प भगवान शिव को अर्पित नहीं करने चाहिए।
कौन-सा पुष्प चढ़ाने से क्या फल प्राप्त होता है? Mahashivratri 2025
शास्त्रों में वर्णित है कि जितना फल किसी विद्वान, तपस्वी एवं वेदों में पारंगत ब्राह्मण को सौ स्वर्ण मुद्राएँ दान करने से प्राप्त होता है, उतना ही पुण्य भगवान शंकर को मात्र सौ पुष्प अर्पित करने से मिल जाता है।
आक के एक पुष्प को अर्पित करने से दस स्वर्ण मुद्राओं के दान के बराबर फल प्राप्त होता है।
हजार आक पुष्पों से बढ़कर एक कनेर पुष्प,
हजार कनेर पुष्पों से श्रेष्ठ एक बेलपत्र,
हजार बेलपत्रों से उत्तम एक गुमा पुष्प,
हजार गुमा पुष्पों से बढ़कर एक अपामार्ग (चिड़चिड़ा) का पुष्प,
हजार अपामार्ग पुष्पों से श्रेष्ठ कुश का पुष्प,
हजार कुश पुष्पों से उत्तम शमी का एक पत्ता,
हजार शमी पत्तों से श्रेष्ठ एक नीलकमल,
हजार नीलकमल से उत्तम एक धतूरा,
हजार धतूरों से भी बढ़कर शमी का एक पुष्प माना गया है।
इन नियमों का अवश्य ध्यान रखें Mahashivratri 2025
जो पुष्प निर्माल्य (पूर्व में अर्पित), मधुमक्खी या अन्य जीवों द्वारा सूंघे गए, अपवित्र पात्र में रखे गए, मुरझाए हुए, धरती पर गिरे हुए, कीड़े लगे हुए या बिखरी हुई पंखुड़ियों वाले हों, उन्हें भगवान शिव को अर्पित नहीं करना चाहिए।
कलियाँ अर्पित करने की मनाही है, किन्तु कमल की कलियाँ अर्पित की जा सकती हैं।
बाएँ हाथ, शरीर के निचले वस्त्र, आक एवं रेंड़ के पत्तों पर रखकर लाए गए पुष्प भी शिव पूजन के लिए वर्जित माने गए हैं।
शिव पूजा के समय पुष्पों को हाथ में लेकर चढ़ाएं तथा चंदन को घिसकर तांबे के पात्र में न रखें।