
Srishti Ki Rachna: सृष्टि की रचना को लेकर अनेक पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। हिंदू धर्मग्रंथों में सृष्टि की उत्पत्ति को लेकर विभिन्न मत हैं, लेकिन सबसे प्रमुख कथा वेदों, पुराणों और उपनिषदों में वर्णित है।
Srishti Ki Rachna: सृष्टि की रचना और पांच संदर्भ
1. ऋग्वेद में सृष्टि की उत्पत्ति
ऋग्वेद के नासदीय सूक्त में सृष्टि की उत्पत्ति के रहस्य पर प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है कि सृष्टि के प्रारंभ में केवल अंधकार और जल ही थे। न कोई दिन था, न रात, न आकाश था, न भूमि। फिर एक विराट शक्ति (परम ब्रह्म) के संकल्प से सृष्टि की रचना हुई।
2. ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना (पुराणों के अनुसार)
पुराणों में वर्णन मिलता है कि सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी ने की। ब्रह्मा जी को भगवान विष्णु ने सृष्टि निर्माण का कार्य सौंपा था। इस कथा के अनुसार सबसे पहले केवल जल ही जल था और उसमें भगवान विष्णु योगनिद्रा में शयन कर रहे थे। उनके नाभि से एक कमल निकला, जिससे ब्रह्मा जी प्रकट हुए।
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ब्रह्मा जी को जब यह नहीं समझ आया कि वे कौन हैं और उनका उद्देश्य क्या है, तब उन्होंने तप किया और उन्हें सृष्टि निर्माण का आदेश मिला। ब्रह्मा जी ने पंचमहाभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) को रचा और फिर जीवों की उत्पत्ति की।
3. सृष्टि के प्रथम पुरुष और नारी
श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण और अन्य ग्रंथों के अनुसार, ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम मनु और शतरूपा की रचना की। इन्हीं से मानव जाति की उत्पत्ति हुई। इसके बाद ब्रह्मा जी ने विभिन्न ऋषियों, देवताओं, असुरों और जीवों की रचना की।
4. शिव पुराण के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति
शिव पुराण में कहा गया है कि शिव ही परम तत्व हैं और उन्हीं से सृष्टि की उत्पत्ति हुई। शिव ने अपनी शक्ति (आदि शक्ति) के साथ मिलकर सृष्टि की रचना की।
5. सांख्य दर्शन के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति
सांख्य दर्शन में सृष्टि की उत्पत्ति प्रकृति और पुरुष के संयोग से मानी गई है। प्रकृति से ही पंचमहाभूतों और सोलह तत्वों की रचना हुई, जिससे यह संसार अस्तित्व में आया।
हिंदू धर्म में सृष्टि की उत्पत्ति को लेकर विभिन्न मत और कथाएँ हैं, लेकिन हर कथा में यह स्पष्ट है कि यह संपूर्ण ब्रह्मांड एक दिव्य शक्ति के संकल्प से बना है। विज्ञान और दर्शन अपने-अपने तरीके से इसकी व्याख्या करते हैं, लेकिन पौराणिक कथाएँ हमें यह सिखाती हैं कि सृष्टि का निर्माण एक उच्चतम चेतना से हुआ है, जो सदा से विद्यमान है।