Shani Chalisa: शनि चालीसा
॥दोहा॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज। करहु कृपा हे रवि तनय, राखहुऔर पढ़ें
और पढ़ेंShree Jagannath Ji Ki Aarti : श्री जगन्नाथ जी की आरती
आरती श्री जगन्नाथ आरती श्री जगन्नाथ आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी, मंगलकारी नाथ आपादा हरि, कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी, अगर कपूर बाटी भव सेऔर पढ़ें
और पढ़ेंEkadashi Mata Ki Aarti : एकादशी माता की आरती
एकादशी माता की आरती ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता। विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥ ॐ जय एकादशी…॥ तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदानऔर पढ़ें
और पढ़ेंNavgrah Ki Aarti : नवग्रह की आरती
नवग्रह आरती आरती श्री नवग्रहों की कीजै । बाध, कष्ट, रोग, हर लीजै ।। सूर्य तेज़ व्यापे जीवन भर । जाकी कृपा कबहुत नहिं छीजै ।। रुप चंद्र शीतलता लायेंऔर पढ़ें
और पढ़ेंMaa Annapurna Ji Ki Aarti: मां अन्नपूर्णा जी की आरती
माँ अन्नपूर्णा की आरती बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम । अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम ॥ बारम्बार प्रणाम, मैयाऔर पढ़ें
और पढ़ेंArti Maa Saraswati Ji : माँ सरस्वती जी की आरती
माँ सरस्वती जी की आरती जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता । सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥ जय जय सरस्वती माता…॥ चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी । सोहे शुभऔर पढ़ें
और पढ़ेंShri Ram Janki: श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने में
ना चलाओ बाण, व्यंग के ऐ विभिषण, ताना ना सह पाऊं, क्यूँ तोड़ी है ये माला, तुझे ए लंकापति बतलाऊं, मुझमें भी है तुझमें भी है, सब में है समझाऊँ,और पढ़ें
और पढ़ेंShri Ramayan Ji Ki Aarti: श्री रामायणजी की आरती
श्री रामायणजी की आरती आरती श्री रामायण जी की । कीरति कलित ललित सिय पी की !! गावत ब्रहमादिक मुनि नारद । बाल्मीकि बिग्यान बिसारद !! शुक सनकादिक शेष अरुऔर पढ़ें
और पढ़ेंSatyanarayan Ji Ki Aarti: श्री सत्यनारायण जी की आरती
जय लक्ष्मी रमणा श्री जय लक्ष्मी रमणा। सत्यनारायण स्वामी जनपातक हरणा॥ जय लक्ष्मी रमणा। रत्नजड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे। नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजे॥ जय लक्ष्मी रमणा। प्रगट भयेऔर पढ़ें
और पढ़ेंBrihaspativar Vrat Aarti in Hindi: बृहस्पतिवार की आरती
ओम जय बृहस्पति देवा, जय जय बृहस्पति देवा। छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।। ओम जय बृहस्पति देवा।। प्रभु जय बृहस्पति देवा। तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी। जगतपिता जगदीश्वर, तुमऔर पढ़ें
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