आमतौर पर हमारे समाज में शादी की उम्र 25-30 की रखी गई है। अब लोग करियर बनाने के लिए 30 के बाद भी शादी कर रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी के लिए वास्तु शास्त्र भी काफी महत्व रखता है। वास्तुशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो दिशा और आपके करीब मौजूद चीजों से उत्पन्न उर्जा के प्रभाव को बताता है।
वास्तु विज्ञान के मतानुसार यदि ऊर्जा अनुकूल है तो आपकी प्रगति निश्चित है और यदि यह प्रतिकूल है तो परेशानी होगी ही। आज हम शादी और वास्तु की बात करेंगे। यदि आप भी शादी की उम्र में प्रवेश कर चुके हैं या करने वाले हैं तो आपके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
कपड़ों का रंग-विवाह के योग्य लड़कों को अपने कपड़े के रंगों का भी ध्यान रखना चाहिए। काले रंग के कपड़े और काली रंग की चीजों का कम-से-कम इस्तेमाल करना चाहिए। बेहतर होगा कि काले कपड़ों और जूतों का त्याग करें।
दरवाजों की संख्या- शादी के योग्य लड़कों को ऐसे कमरे में सोना चाहिए जिनमें एक से अधिक दरवाजे हों या खिड़कियां हों। कहने का तात्पर्य यह है कि ऐसे कमरे में सोना चाहिए जिनमें हवा की आवाजाही अच्छी हो और रौशनी की कमी ना हो।
सोने की दिशा- यदि आपकी उम्र शादी-विवाह वाली हो चुकी है तो आपको सोते समय दिशा का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। वास्तुशास्त्र के मुताबिक शादी के योग्य लड़कों को दक्षिण पश्चिम और दक्षिण दिशा में नहीं सोना चाहिए। इससे विवाह में बाधा आती है और मान्यता है कि रिश्ते आते भी हैं तो अच्छे नहीं आते।
बिस्तर की दिशा- विवाह करने के इच्छुक युवकों को अपना बिस्तर ऐसा रखना चाहिए ताकि सोते समय सिर दक्षिण और पैर उत्तर दिशा में हों। इसका बहुत ही असर पड़ता है। इसलिए इसे अनदेखा ना करें।
कमरे का रंग- यदि आप विवाह की उम्र में प्रवेश कर चुके हैं तो आपको अपने कमरे के रंगों का भी ख्याल रखना चाहिए। आपके कमरे का रंग गहरा नहीं होना चाहिए। बेहतर होगा कि दीवारों को पीले, गुलाबी या चमकीला हो।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर उत्तरदायी नहीं है।