
Sanyog Ya Sanket फाल्गुन की उमंग के संग रंगों की बहार दस्तक दे चुकी है। 13 मार्च को होलिका दहन संपन्न होगा और 14 मार्च को पूरा देश होली के उल्लास में सराबोर होगा। परंतु, इस बार यह पर्व केवल रंगों तक सीमित नहीं रहेगा—इस दिन कई विशिष्ट खगोलीय घटनाएँ भी घटित होने वाली हैं। 14 मार्च 2025 केवल एक सामान्य दिन नहीं है बल्कि यह एक ऐसा दिन होगा जब धार्मिक, खगोलीय और ज्योतिषीय परिवर्तन एक साथ घटित होंगे। होली की उमंग में सराबोर होने से पहले, इन खगोलीय घटनाओं की गंभीरता को समझना आवश्यक है।
रंगों की फुहार और ज्योतिषीय परिवर्तन Sanyog Ya Sanket
बाजारों में गुलाल की महक घुल चुकी है, मंदिरों में फाग गीतों की गूंज है, और संपूर्ण भारतवर्ष होली की मस्ती में सराबोर होने को तैयार है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 14 मार्च 2025 को फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर होली का उत्सव मनाया जाएगा। इस दिन दोपहर 12:27 तक पूर्णिमा का प्रभाव रहेगा, जिसके बाद रंगों की होली खेली जाएगी।
केवल होली ही नहीं, बहुत कुछ होने वाला है Sanyog Ya Sanket
इस विशेष तिथि को न केवल होली का आनंद मिलेगा, बल्कि एक के बाद एक कई महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाएँ भी घटित होंगी। इस दिन 2025 का पहला चंद्रग्रहण पड़ रहा है, जिसे लेकर हिंदू धर्मशास्त्रों में विशेष मान्यताएँ प्रचलित हैं। सनातन धर्म में ग्रहण काल को शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना गया है। यही नहीं, ठीक 15 दिन बाद, 29 मार्च 2025 को सूर्य ग्रहण भी पड़ेगा।
इस प्रकार, मार्च माह में दो बड़े ग्रहण पड़ने से यह महीना खगोलीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील हो गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान भोजन, पूजा-पाठ, और यात्रा करने से बचना चाहिए। विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए इस अवधि में अतिरिक्त सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है।
14 मार्च 2025 को घटने वाली प्रमुख घटनाएं
होली का पर्व – 14 मार्च
सूर्य गोचर – 14 मार्च
चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse 14 March) – 14 मार्च
खरमास की शुरुआत – 14 मार्च
सूर्य का मीन राशि में प्रवेश – ग्रहों के राजा का गोचर परिवर्तन
सूर्य का राशि परिवर्तन: क्या कहता है ज्योतिष?
14 मार्च को सूर्य मीन राशि में प्रवेश करेगा, जो गुरु ग्रह की राशि मानी जाती है। इससे पहले सूर्य कुंभ राशि में स्थित था। जब भी सूर्य किसी राशि में प्रविष्ट होता है, तो इसे ‘संक्रांति’ कहा जाता है, और इस बार इसे ‘मीन संक्रांति’ कहा जाएगा। सूर्य का यह गोचर ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह परिवर्तन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक गतिविधियों पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है।
खरमास का आगमन
सूर्य जब मीन राशि में प्रवेश करता है, तो ‘खरमास’ की शुरुआत होती है। इस अवधि में शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार, और अन्य मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दौरान सूर्य की ऊर्जा क्षीण हो जाती है।
इसके कारण केवल भक्ति, साधना और दान-पुण्य को ही महत्व दिया जाता है। इस वर्ष खरमास 14 मार्च 2025 को शाम 6:59 बजे से आरंभ होकर 14 अप्रैल 2025 तक रहेगा। इस दौरान नया व्यापार, संपत्ति खरीदने या अन्य शुभ कार्यों से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
14 मार्च को क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
इस दिन कई खगोलीय घटनाएँ एक साथ होने के कारण विशेष सतर्कता रखना आवश्यक होगा। ब्रह्मांडीय हलचलों का पृथ्वी और यहाँ के निवासियों पर निश्चित प्रभाव पड़ता है। राजनीतिक, आर्थिक, और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी इस दिन से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित हो सकती हैं।
कुछ प्रमुख सावधानियां
नशे से बचें – होली के दिन अधिकतर लोग शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं, जो इस दिन विशेष रूप से नुकसानदायक सिद्ध हो सकता है। राहु, केतु और मंगल जैसे ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए संयम आवश्यक है, अन्यथा कानूनी समस्याओं में फँसने की संभावना बन सकती है।
भोजन में संतुलन बनाए रखें – अधिक खाने-पीने से बचें। ग्रहण काल में पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें उत्पन्न हो सकती हैं। चंद्रग्रहण और सूर्य गोचर के कारण मानसिक तनाव और चिंता बढ़ने की संभावना रहती है।
ध्यान और आध्यात्मिक क्रियाओं पर जोर दें – इस विशेष दिन पर ध्यान, प्रार्थना और दान-पुण्य करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। ग्रहण के प्रभावों से बचने के लिए मंत्र जाप और ध्यान करने की सलाह दी जाती है।