इस वर्ष के प्रारम्भ में ‘कालयुक्त’ नामक संवत्सर रहेगा। वैशाख कृष्ण 2 मंगलवार (15 अप्रैल 2025) को ‘सिद्धार्थ’ नामक संवत्सर का प्रवेश होगा, किन्तु वर्ष पर्यन्त संकल्पादि में ‘कालयुक्त’ संवत्सर का ही विनियोग करना चाहिए। इस वर्ष राजा ‘सूर्य’ तथा मन्त्री भी सूर्य ही हैं। अतः राज सत्ता के पदाधिकारियों में परस्पर संबंध अनुकूल रहेगा। जगल्लग्न के अनुसार लग्न में नीचस्थ बुध के साथ राहु के संयोग से पूर्वोत्तर भागो में प्राकृतिक विपत्तियां पैदा होकर जन समुदाय में वृद्धि कारक है।
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तूफान-भूकम्प आदि की संभावना
रूस, जापान, चीन, फिलीपींस द्वीपसमूह, पूर्वीभारत एवं ऑस्ट्रेलिया आदि राष्ट्रों में तूफान, भूकम्प, पर्वत श्रृंखलाओं के विघटन से जनधन की हानि होगी। विश्व व्यापार में परिवर्तन बनकर सुधार होगा। भारत का पश्चिमी देशों से व्यापार बढ़ेगा।
भारत बनेगा आयात-निर्यात का केन्द्र
आयात-निर्यात का केन्द्र बनकर भारत की ख्याति विश्व में बढ़ेगी। महंगाई की समस्यायें उभरी रहेंगी। धनेश मंगल नीच राशि में है तथा इस पर राहु की दृष्टि है अतः कुछ राष्ट्रों की आन्तरिक स्थिति खराब होगी जिसके फलस्वरुप जनधन की भारी हानि हो सकती है। तृतीयेश शुक्र व्यय भाव में शनि के साथ हैं। अतः भारत को अपने पड़ोसी देशों से सावधान रहना पड़ेगा।
सीमाओं पर तनाव
भारतीय सीमाओं पर पड़ोसी देशों के अतिक्रमण की घटनायें घटित हो सकती हैं। वर्षलग्न के विचार से लग्नेश अष्टमभाव में राहु के साथ है इसलिए विश्व में श्रमिक तथा कृषक वर्ग के आन्दोलन की सम्भावना रहेगी। विश्व में रक्तपात जनित नरसंहार का परिणाम बढ़ेगा। नववर्ष प्रवेश सिंह लग्न में हो रहा है है। अष्टमस्थ सूर्य, चन्द्र, बुध, राहु एवं सप्तमस्थ शुक्र शनि के योग से हो उग्रवाद व आतंकवादी ताकतें विश्व के हर भूभाग पर फैलेंगी।
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विमान दुर्घटना की आशंका
वाहन का तथा यान दुर्घटना विश्व में बढ़ेगी। पश्चिमी देशों तथा भारत के पड़ोसी देशों में युद्ध के बादल मंडरायेंगे। सप्तमेश सप्तमभाव में है। इसके प्रभाव से विश्व में महिलाओं पर अत्याचार की घटनायें बढ़ेंगी। आर्द्रा प्रवेश के अनुसार इसका लग्न तुला है सूर्य के पीछे शुक्र है ग्रह स्थिति के अनुसार भारत के पश्चिमी एवं पूर्वी भागों के अधिकांश क्षेत्रों में गर्मी का प्रकोप बढ़ेगा।
भीषण गर्मी और गर्म हवाएं
भीषण गर्मी तथा गर्म हवायें चलेंगी। जलीय ग्रह शुक्र मेषराशि में सिंह यात्र होने से मानसून प्रभावित रहेगा। वर्षाकाल में दिल्ली सहित उसके की पड़ोसी राज्यों में व्यापक वर्षा के संकेत हैं। कहीं बाढ़, भूस्खलन आदि विव प्रकोप से कृषि जनधन की हानि होने के योग हैं।
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शारदीयधान्य के विचार से सूर्य के पीछे बुध शुक्र होने से सूर्य पर शनि की दृष्टि होने से कुछ भागों में प्राकृतिक प्रकोपों तथा रोगों से कृषि की कुछ हानि होगी। किन्तु धान्य की कुल निष्पत्ति पर्याप्त मात्रा में होगी।
ग्रैष्मिकधान्य के विचार से इसका लग्न सिंह है। सूर्य के साथ मंगल रहेगा। बुध गुरु उच्चराशि में होने से ग्रीष्मकालिक अनाज की उत्पत्ति पर्याप्त होगी। वृश्चिकराशि के सूर्य से द्वादश शुक्र एवं सूर्य मंगल केन्द्र में होने से अत्यधिक धान्योत्पत्ति होगी। चना, मसूर, गेहूं की फसल उत्तम होगी। कुछ क्षेत्रों में पाला से नुकसान हो सकता है।