
Vinayaka Chaturthi विनायक चतुर्थी का यह व्रत अनंत सुख-समृद्धि और मंगलकारी जीवन प्रदान करने वाला माना गया है। विधिपूर्वक इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से जीवन की समस्त विघ्न-बाधाएं दूर हो जाती हैं और हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व
प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी व्रत रखा जाता है। यह विशेष दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु गणपति की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और विधिपूर्वक व्रत रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को विधि-विधान से करने से साधक को सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली समस्त बाधाओं तथा आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है।
फाल्गुन विनायक चतुर्थी तिथि (Vinayaka Chaturthi )
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 2 मार्च की रात्रि 9:01 बजे होगा, और यह तिथि 3 मार्च की संध्या 6:02 बजे तक प्रभावी रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, इस बार विनायक चतुर्थी व्रत सोमवार, 3 मार्च को रखा जाएगा।
Vinayaka Chaturthi पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, 3 मार्च को सुबह 11:23 से दोपहर 1:43 तक भगवान गणेश की पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक पूजा करने से व्रती को विशेष फल की प्राप्ति होती है।
विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi ) पूजा विधि
प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में जागकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
व्रत का संकल्प लें और घर के मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
भगवान गणेश को गंगाजल से स्नान कराएं, तत्पश्चात पंचामृत से स्नान कराकर पुनः स्वच्छ जल से स्नान कराएं।
चंदन, रोली, कुमकुम और सुंदर पुष्पों से भगवान गणेश का श्रृंगार करें।
गणपति को प्रिय भोग जैसे लड्डू और मोदक अर्पित करें।
तत्पश्चात गणेश मंत्रों का जाप करें, जैसे:
ॐ गं गणपतये नमः
ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।”
पूजा के अंत में व्रत कथा का श्रवण करें और गणपति की आरती कर पूजा संपन्न करें।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर उत्तरदायी नहीं है।