ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक पितृ दोष का संबंध हमारे पूर्वजों की आत्माओं से होता है। यह एक ज्योतिषीय अवधारणा है जिसमें माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति के पूर्वजों की आत्मा अशांत या असंतुष्ट है, तो यह दोष उसकी जन्म कुंडली में हो सकता है। पितृ दोष का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं के रूप में प्रकट हो सकता है, जैसे कि आर्थिक कठिनाइयां, विवाह में विलंब, संतान सुख में बाधा, स्वास्थ्य समस्याएं आदि।
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पितृ दोष क्यों लगता है?
पितृ दोष के लगने के कई कारण हो सकते हैं। पहला कारण तो यही है कि यदि आपके पूर्वज की आत्मा अशांत है तो पृति दोष लगेगा। यदि किसी पूर्वज का श्राद्धकर्म नहीं किया गया है या पिंडदान नहीं हुआ या फिर तर्पण नहीं हो रहा है तो इससे पितृ दोष हो सकता है। मान्यता है कि मृत्यु लोक पर हमारे पूर्वजों की आत्माएं अपने परिवार के सदस्यों को देखती रहती हैं, इसलिए अपने पूर्वजों का अनादर नहीं करना चाहिए।
अन्यथा दुखी दिवंगत आत्माएं शाप देती हैं और इसी शाप को पितृ दोष लगता है। अपने पितरों को उचित स्थान न दिया जाए, तो इसका असर कुंडली में पितृ दोष के रूप में हो सकता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, पूर्वजों के द्वारा किए गए बुरे कर्मों का प्रभाव भी उनके वंशजों पर पड़ सकता है, जिससे पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है।
पितृ दोष का निवारण क्या है?
- श्राद्ध और तर्पण: पितरों की आत्मा की शांति के लिए नियमित रूप से श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। खासकर पितृ पक्ष के दौरान यह कर्म अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
- पितृ शांति पूजा: अपने पितरों की पूजा करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। यह भी पितृ दोष के निवारण में सहायक होता है।
- दान कर्म: धर्मशास्त्रों के अनुसार अपने पूर्वजों के नाम पर दान-पुण्य करना भी पितृ दोष को कम कर सकता है।
- गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र: नियमित रूप से गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भी पितृ दोष के निवारण में सहायक माना जाता है।
- पवित्र वृक्षों का पूजन: पीपल और तुलसी जैसे पवित्र वृक्षों का पूजन और उनकी सेवा करने से भी पितृ दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर डॉट कॉम उत्तरदायी नहीं है।