ज्योतिष के अनुसार कुल नौ ग्रह हैं और ये नौ ग्रह कुंडली के 12 भावों में अपनी स्थितियों के अनुसार फल देते हैं। सनातन धर्म में ज्योतिष के अंतर्गत कुंडली देखने का विधान है। कुंडली देखकर ही किसी भी जातक के ग्रहों की स्थिति पता लगाया जाता है और उसके गुण, दोष और योग की गणना की जाती है। इनमें से ही एक दोष है जिसे कालसर्प दोष कहते है। कालसर्प दोष का प्रभाव हर राशि के जातक पर अलग-अलग तरीके से पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में भी इस दोष को अशुभ माना गया है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दोष से पीड़ित जातक को 42 वर्ष तक इससे परेशानी हो सकती है।
कब बनता है कालसर्प दोष?
ज्योतिष के अनुसार किसी भी जातक की कुंडली में अगर 9 ग्रहों में से 7 ग्रह राहु व केतु के मध्य में आते हैं तब कालसर्प दोष होता है। ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों का मत है कि कालसर्प दोष का योग जातक द्वारा पूर्व जन्म में किए गए अपराध का एक तरीके से शाप है। यह दोष बेहद कष्टदायक होता है। इस दोष के कारण व्यक्ति को अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
कितने प्रकार के होते हैं कालसर्प दोष ?
- अनन्त कालसर्प योग
- कुलिक कालसर्प योग
- वासुकि कालसर्प योग
- शंखपाल कालसर्प योग
- पद्म कालसर्प योग
- महापद्म कालसर्प योग
- कर्कोटक कालसर्प दोष
- तक्षक कालसर्प दोष
- शंखचूड़ कालसर्प दोष
- घातक कालसर्प दोष
- विषधर कालसर्प योग
- शेषनाग कालसर्प दोष
कालसर्प दोष के संकेत
- कालसर्प दोष से प्रभावित जातक को अच्छे सपने नहीं आते हैं।
- बगैर किसी कारण के मन में डर बना रहता है।
- रात में नींद के वक्त डर के कारण बार-बार नींद टूट जाती है।
- सपने में बार-बार सर्प दिखाई देते हैं।
- कड़ी मेहनत के बाद भी अंतिम वक्त पर बनते-बनते काम बिगड़ जाते हैं
- घर-परिवार और ऑफिस में छोटी-छोटी बातों पर वाद-विवाद होते रहते हैं
- शत्रुओं की संख्या बढ़ जाती है
- किसी गंभीर बीमार का इलाज होने पर भी फायदा नहीं होता है।
कौन-कौन सी होती है समस्या
कालसर्प दोष वाले व्यक्ति को हमेशा आर्थिक और शारीरिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। संतान की ओर से भी इस जातक को कष्ट मिलता ही है। व्यापार और नौकरी में भी इस दोष की वजह से दिक्कतें होती रहती हैं। वहीं, मानसिक अशांति भी इस दोष के कारण बनी रहती है।
नासिक में पूजा से मिलती है इस दोष से मुक्ति
महाराष्ट्र के नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर कालसर्प दोष से मुक्ति पाने का सबसे प्रमुख स्थान है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आकर कालसर्प दोष की पूजा कराने से इस दोष से मुक्ति मिल जाती है। आपकों बता दें कि 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर लिंग का अपने आप में बहुत महत्व रखता है। यहां प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में जातक कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए इस मंदिर पूजा करवाते हैं।
कालसर्प दोष के निवारण के उपाय
- भगवान भोलेनाथ की प्रतिदिन आराधना और पूजापाठ करें।
- नागपंचमी के मौके पर धातु के नाग-नागिन का जोड़ा शिव मंदिर में अर्पित करें।
- अनामिका उंगुली में सोने, चांदी और तांबे से मिश्रित धातु की सर्प के आकार की अंगूठी शनिवार को धारण करें।
- घर के चौखट पर चांदी का स्वास्तिक लगाएं
- गृहस्थ जीवन में अधिक क्लेश होने पर शनिवार को दोबारा सात फेरे लेकर शादी करें।
- 500 ग्राम का पारद शिवलिंग बनवाकर भगवान भोलनाथ का रुद्राभिषेक कराएं
- घर के पूजा स्थल पर मोरपंख रखें
- ओम नमो वासुदेवाय मंत्र का जाप करें
- एकाक्षी नारियल पर चंदन से पूजन कर के 7 बार सर से घुमा कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें
- नव नाग स्तोत्र का जाप करें
- अपने पास राहू यंत्र पास रखें या बहाएं
- नाग पंचमी पर वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करें।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर उत्तरदायी नहीं है।