वैसे तो आम बोलचाल की भाषा में मंगल का मतलब शुभ होता है लेकिन जब बात किसी के कुंडली की होती है तो वहां मंगल दोष हो जाता है। मंगल दोष वाली कुंडली को मांगलिक भी कहा जाता है। मंगल और गर्म ग्रह है और जातक की शारीरिक ऊर्जा, आत्मविश्वास, ताकत, क्रोध, आवेग, वीरता, और साहसिक प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है। आज हम आपको बताएंगे कि मंगल दोष क्या, इसे कैसे देखते हैं और इसका निवारण क्या है?
मंगल दोष कैसे देखें?
किसी जातक की कुंडली में जब मंगल ग्रह, प्रथम (1), चतुर्थ (4), सप्तम (7), अष्टम (8) या द्वादश (12) भाव/घर में विराजमान हो तो उसे मांगलिक कहा जाता है यानी इनमें से किसी भी भाव में मंगल है तो जातक मांगलिक कहा जाएगा। मांगलिक एक ज्योतिषीय दोष है जिसमें शादी करने वाले व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यह दोष मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण होता है और वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न करने का कारण बनता। नीचे के चार्ज को देखकर आप समझ सकते हैं कि मंगल दोष कब लगता है।
क्या स्वतः खत्म हो सकता है मांगलिक दोष?
- मंगल सूर्य से अस्त हो जाए तो मांगलिक दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है।
- कर्क और सिंह लग्न में मंगल योग कारक होता है तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।
- मंगल और गुरु का योग हो या गुरु की दृष्टि मंगल पर हो तो भी मांगलिक दोष नहीं लगता है।
- मंगल और शनि की युति हो या शनि की दृष्टि में होने पर भी मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है।
- मंगल मकर राशि में हो तो मांगलिक दोष नहीं लगता है।
मांगलिक जातक के लक्षण
- विवाह में देरी: आमतौर पर मंगल दोष वाले जातक की शादी देर से होती है।
- मतभेद: ऐसे जातक किसी की बातों से जल्दी सहमत नहीं होते हैं। मतभेद बना रहता है।
- गुस्सा: मंगल दोष वाले जातक बात-बात पर क्रोधित हो जाते हैं।
मंगल दोष के उपाय और निवारण
- मंगल की पूजा: मंगल दोष के निवारण के लिए मंगलवार को उपवास रखना चाहिए और पूजा करनी चाहिए।
- गाय को रोटी: मांगलिक जातक को प्रत्येक मंगलवार को रोटी और गुड़ गाय को खिलाना चाहिए।
- बड़ों का आशीर्वाद: मंगल दोष से पीड़ित जातक को अपनों से बड़े, विशेषतौर पर बड़े भाई का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए। मान्यता है कि बड़े भाई में मंगल का प्रभाव होता है।
- हनुमान जी की पूजा: यदि मांगलिक दोष के कारण घर और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती है तो प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जा कर गुड़, चना और बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं और हनुमान जी के सम्मुख हनुमान चालीसा का पाठ करें।