लाल किताब की भविष्यवाणी किसी परिचय का मोहताज नहीं है। लाल किताब के हिसाब से कुंडली का भी विश्लेषण होता है, उसके बाद भविष्यवाणी होती है। आज हम लाल किताब के कुछ अद्भुत योग के बारे में बताएंगे जिन्हें जानना आपके लिए बहुत जरूरी है।
जातक की पैदाइश तुला लग्न में हो अर्थात् घर नं. 1 में लग्न के स्वामी शुक्र व पांचवें घर के स्वामी शनि की युति हो तो जातक एक अच्छा ज्योतिषी बनता है। अगर मिथुन लग्न की कुण्डली में पहले खाने में तीन ग्रह हों, लग्न का स्वामी ग्रह बुध 11 में सूर्य के साथ हो तथा बृहस्पति की दृष्टि लग्न नं. 1 पर पड़े तो जातक चतुर्दिग् विजयी होकर हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है।
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यदि कुण्डली में शनि तीसरे घर में स्थित हो तो जातक का व्यवसाय मात्र जीवन यापन के लिये होता है। जोड़ने के लिये उसके पास कुछ नहीं बचता। अगर वृश्चिक लग्न में पैदा हुए जातक की कुण्डली में सूर्य पहले घर में हो, लग्न का स्वामी ग्रह मंगल नं. 2 में हो तथा बुध भी साथ हो तो जातक युवावस्था में पागल हो जाता है। उसका अधिकांश जीवन पागलखाने में ही बीतता है।
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13 अप्रैल से 23 अप्रैल के बीच जन्म लेने वाले जातकों का व्यक्तित्व काफी प्रभावशाली होता है। क्योंकि इन दिनों सूर्य उच्च का होता है, जिसका प्रभाव जातक की कुण्डली पर पड़ता है।
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कुण्डली में नौवें तथा दसवें खानों के ग्रहों का आपसी सम्बन्ध होने पर राजयोग कारक होता है। परन्तु जब नौवें खाने के ग्रह दसवें खाने में हों तो ज्यादा बलवान नहीं होते।
जब दो उच्च घरों के स्वामी एक-दूसरे के घर में बैठते हैं तो प्रबल राजयोग बनता है। जब नौवें तथा दसवें खाने के स्थायी स्वामी ग्रह पहले खाने में बैठे हों, तब भी प्रबल राजयोग बनता है।