Dvadasa Jyotirlinga Stotram: द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रिशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोमकारममलेश्वरम्॥

परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारूकावने॥

वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥

एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रात: पठेन्नर:।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥

अन्यथा शरणम् नाऽस्ति, त्वमेव शरणम् मम्।
तस्मात्कारूण भावेन्, रक्ष माम् महेश्वर:॥

 

Related Posts

Panchkoshi Yatra 2025: 23 अप्रैल से शुरू हो रही है पंचकोसी यात्रा, जानें इसका महत्व

Panchkoshi Yatra 2025: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हर साल की तरह इस बार भी वैशाख कृष्ण दशमी के पावन अवसर पर पंचकोशी यात्रा का शुभारंभ 23 अप्रैल 2025और पढ़ें

और पढ़ें

प्रदोष व्रत 2025: इस दिन इन दिव्य वस्तुओं से करें शिवलिंग का स्नान, बनेंगे सारे काम

प्रदोष व्रत 2025: सनातन संस्कृति में प्रदोष व्रत का स्थान तप और पुण्य की श्रृंखला में सर्वोच्च गिना जाता है। इस अद्भुत तिथि पर संध्या के पवित्र समय में भगवानऔर पढ़ें

और पढ़ें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share
मेष राशि के लिए लाल किताब के अचूक टोटके बजरंगबली की अष्ट सिद्धियाँ कौन हैं? Mahakumbh 2025 की 10 शानदार तस्वीरें महाकुंभ की 10 अनदेखी तस्वीरें कुंभ मेले में आकर्षण का केंद्र बने “मस्कुलर बाबा”