ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं।
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।।
पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं।
विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।
ध्याये नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रां वतंसं।
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम।।
पद्मासीनं समंतात् स्तुततममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं।
विश्वाद्यं विश्वबद्यं निखिलभय हरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥ सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते त्रिभुवनपोषिणिऔर पढ़ें
Read moreनवरात्रि के दौरान सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने का विशेष महत्व है क्योंकि यह देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और उनकी विशेष शक्तियों को जागृत करने का एकऔर पढ़ें
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