कुंभ- गू,गे, गो, सा, सी, सु, से, सो दा
वर्षारम्भ में नेष्ट फलकारक बृहस्पति 1 मई से परिवर्तित होकर यद्यपि कि बहुत शुभ फलकारक तो नहीं होगा किंतु केंद्र में होने से कुछ राहत प्रदान करेगा। यद्यपि कि आप अपना कार्य परिश्रम एवं लगन तथा ईमानदारी से करेंगे किन्तु उसको तदनुरूप महत्त्व नहीं दिया जाएगा। मन अशान्त रहा करेगा और राजकीय एवं न्यायालय से सम्बन्धित कार्यों में विलंब होगा तथा परिश्रम के मनोनुकूल फल नहीं प्राप्त होगा। परिजनों का भी पूर्ण सहयोग प्राप्त नहीं होगा।
स्मरण रखें शनि आपकी ही राशि में संचरण करता हुआ मध्य साढ़ेसाती की स्थिति बनाए हुए है अतः प्रत्येक कार्य को सोच समझकर तथा अपने विश्वसनीय लोगों क से परामर्श लेकर ही संपन्न करें। यद्यपि कि शनि आपकी राशि का स्वामी भी है अतः एक अपेक्षाकृत कम कष्ट कारक होगा। चोट-चपेट लगने का भय रहेगा अतः सदैव सतर्कता का न पालन करें।
जीवन साथी का स्वास्थ्य भी प्रभावित रहा करेगा। शनि ग्रह की अगर आप शान्ति का उपाय करते रहेंगे तो अवश्य शनि जन्य कष्ट से राहत मिलती रहेगी। सुन्दर काण्ड और हनुमान चालीसा का पाठ करें। बजरंग बाण का पाठ भी सहायता करेगा। प्रत्येक शनिवार को हनुमान जी के निकट पीपल वृक्ष की जड़ में स्थित शनि भगवान के लिए तिल के तेल का दीपक अवश्य जलाएं। छायादान कराना बड़ा सहायक होगा। ॐ शं शनैश्चराय नमः की 1 माला का जप नित्य करत रहें। भृत्य सहायक तथा नौकरों की खूब सहायता करते रहें। बृहस्पति वार को ॐ बृं बृहस्पतये नमः की 1 माला का जप करना लाभकारक होगा।