कर्क- ही, हु, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
वर्षारम्भ के बाद 1 मई से बृहस्पति गोचर से लाभ स्थान अर्थात् ग्यारहवें भाव का हो जाएगा। फलतः मध्यम गति से चल रहे अथवा सुस्त पड़ गये आपके सभी कार्य तेज गति से आगे बढ़ने लगेंगे। पद-प्रतिष्ठा नौकरी व्यवसाय में उन्नति होगी। शत्रु एवं विरोधी परास्त हो जायेंगे या आप से समझौता कर लेंगे। विवाह पुत्र जन्म अदि मांगलिक कार्य सम्पन्न होने अथवा करने का अवसर आ जायेगा। नौकरी में पदोन्नति होने की संभावना है। हाथ में लिये समस्त कार्य सफलता पूर्वक पूर्ण होंगे।
राजकीय तथा न्यायालय सम्बन्धी कार्यों में फैसला आपके पक्ष में आयेगा। अच्छे काम करने की प्रवृत्ति मन में पैदा होगी। मन शान्त रहेगा। धार्मिक कार्यों में रुचि लेंगे। अष्टम भाव में संचरण करता हुआ शनि आपके ऊपर शनि की ढैय्या की स्थिति बना रहा है। अतः शनि अपना दुष्प्रभाव भी दिखाता रहेगा। यह शनि आपके परिवारिक जीवन में लड़ाई-झगड़ा कलह की स्थिति ला सकता है। बुरी संगति एवं प्रवंचना से काम बिगड़ सकता है अतः लड़ाई-झगड़े से दूर ही रहना आपके हित में होगा। धन की हानि कराएगा तथा स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता रहेगा।
राजकीय एवं न्यायालय संबंधी कार्यों में सफलता संदिग्ध रहेगी। आपके जीवन-साथी का स्वास्थ्य भी खराब रह सकता है। नवम भाव का राहु चमत्कारिक तरीके से कोई काम बनाता रहेगा जो स्थायी लाभ में भी बदल सकता है। तीसरे भाव का केतु भाग्योदय कारक है। शनि देव की शान्ति का उपाय अवश्य करें। प्रत्येक शनिवार को पीपल वृक्ष में स्थित शनि भगवान को तिल तेल का दीपक जलावें साथ ही साथ पवनपुत्र हनुमान जी की यथासंभव पूजा-आराधना दर्शन करते रहें। हनुमानाष्टक, बजरंग बाण और हनुमान चालीसा का पाठ करने से आपको लाभ मिलेगा।