मकर- भो, जा, जी (जू, जे, जो) खी, खू, खे, खो, गा, गी
वर्षारम्भ में हल्का चल रहा बृहस्पति 1 मई से वहुत ही अनुकूल हो जायेगा। भृत्य (नौकर) सहायक एवं परिजन सभी आपकी सेवा सहायता करने में तत्पर रहेंगे। घर-परिवार में विवाह पुत्र जन्मादिक मांगलिक कार्य सम्पन्न होने के अवसर प्राप्त होंगे। प्रेम संबंध प्रगाढ़ न होंगे एवं भौतिक सुख सुविधाओं के अनेक साधन एकत्रित हो जायेंगे। भूमि-भवन वाहन का सुख प्राप्त होगा। कोई स्थिर लाभ भी हो सकता है।
आपकी बौद्धिक क्षमता बढ़ जाएगी तथा शीतल व्यवहार से आप सबको आकर्षित कर लेंगे। आपके द्वारा कोई उल्लेखनीय कार्य किया जाएगा, जिसकी सर्वत्र प्रशंसा होगी। शनि की उतरती साढ़े साती भी शनि जन्य कष्ट में की राहत प्रदान करने लगेगी। शरीर में बल एवं तेज दोनों धीरे-धीरे बढ़ने लगेगा। विमुख हुए दोस्त रिश्तेदार तथा परिचित पुनः आपकी सेवा-सहायता में तत्पर होने लगेंगे।
जीवन साथी को शनि कुछ कष्ट देता रहेगा। तीसरे भाव का राहु शत्रुओं एवं विरोधियों को परास्त करने में सहायक होगा। हनुमान जी की आराधना से शनि जन्य कष्ट कटता रहेगा। ॐ शं । शनैश्चराय नमः मन्त्र का 1 माला जप नित्य करें तथा तिल के तेल का दीपक शनि भगवान के सन्निकट प्रत्येक शनिवार को जलाकर उनकी पूजा करते रहें। वो आपका मंगल करेंगे।