मिथुन – का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा
वर्षारम्भ में लाभ-भाव में चल रहा बृहस्पति 1 मई से बदल कर व्यय भाव में चलने लगेगा। परिणाम स्वरूप आप सही तरीके से काम तो करेंगे किन्तु उसका प्रतिफल विपरीत ही होगा। लोग आपके कार्यों की अनावश्यक आलोचना करेंगे। पैसे का खर्च बढ़ जायेगा तथा धनागम का मार्ग अवरुद्ध सा हो जाएगा। शारीरिक सुख-स्वास्थ्य में कमी आ जाएगी। घर-परिवार तथा पुत्रादिकों से मनमुटाव हो सकता है किन्तु उसका प्रभाव अस्थायी होगा।
यात्रा में व्यय एवं कष्ट दोनों ही होता रहेगा। विश्वासपात्र व्यक्ति से भी धोखा मिल सकता है। व्यर्थ का झूठा उपदेश देने की प्रवृत्ति रहेगी। विरोधी एवं शत्रु सक्रिय होकर आपको क्षति पहुँचाने का प्रयास करते रहेंगे। धर्म-अध्यात्म एवं पूजा-पाठ में मन नहीं लगेगा। सहायक एवं सहयोगी भी आपको परेशान करेंगे।
दशम भाव का राहु अकस्मात् कहीं न कहीं से कोई न कोई काम बनाता रहेगा जिससे लाभ होता रहेगा। केतु भी भूमि भवन सम्बन्धी उपलब्धि दिला सकता है। बृहस्पति एवं शनि की शान्ति के लिए कोई न कोई पूजा- पाठ करते रहने से कोई विशेष परेशानी नहीं होगी। ॐ बृं बृहस्पतये नमः तथा ॐ शं शनैश्चराय नमः का 1-1 माला जप नित्य करते रहे तथा दान देते रहें। लाभ होगा।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर उत्तरदायी नहीं है।