वृश्चिक – तो, ना, नी, नू, ने नो, या, यी, यू
वृश्चिक राशि वालों के लिए यह वर्ष सर्वथा शुभफलकारक है। गोचर से सप्तम भाव का बृहस्पति भूमि,भवन,वाहन इत्यादि भौतिक सुख सुविधाओं में वृद्धि कारक है। स्त्री परिवार का उत्तम सुख-सान्निध्य प्राप्त होगा एवं घर-परिवार में विवाह, पुत्र, जन्म आदि मांगलिक कार्यों के अवसर आएंगे। किसी स्थिर लाभ की भी संभावना है। राजकीय एवं या न्यायालय सम्बन्धी कार्यों में प्रगति होगी तथा सफलता भी मिलेगी।
बौद्धिक क्षमता एवं कार्य दक्षता दोनों में वृद्धि निश्चित होगी तथा आपके द्वारा उल्लेखनीय एवं प्रशंसनीय कार्य किए जाएंगे। एक बात ध्यान रखें कि आपके ऊपर शनि की ढैय्या भी चल रही है अतः सभी सुख सुविधाओं के बावजूद परिजनों मित्रो रिश्तेदारों से तालमेल सही नहीं बैठेगा। कुछ न कुछ शारीरिक परेशानियां बनी रहेगी जिससे मन चिढ़चिढ़ाता सा रहेगा। मन में हमेशा नकारात्मक से कोई सोच बनी रहेगी। अतः इन सब परिस्थितियों से बचते रहना पड़ेगा।
राहु के कारण आर्थिक लाभ तो होगा किन्तु संतुष्टि नहीं मिलेगी। केतु भी लाभ भाव का है अतः शुभफल प्रदान करेगा। शनि की शान्ति का उपाय अवश्य करते रहे जिससे शनि जन्य कष्ट से छुटकारा मिलता रहे। प्रत्येक शनिवार को पीपल वृक्ष की जड़ में स्थित शनि भगवान के निकट तिल के तेल का दीपक जलाएं तथा ‘ॐ शं शनैश्चरायनमः” मंत्र की 1-1 माला का जप नित्य कर लिया करें। गरीब असहायों की सहायता करें।