कन्या – टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो।
वर्षारम्भ से अष्टम भाव का गुरु 1 मई से परिवर्तित होकर नवम भाव का हो जायेगा जो अत्यन्त शुभफल प्रदान करने लगेगा। आपकी कार्य क्षमता का विस्तार होगा तथा आप कर द्वारा उल्लेखनीय एवं प्रशंसनीय कार्य किये जाएंगे। किसी नए पद अथवा अधिकार की हीं प्राप्ति हो सकती है। पुत्रादिकों की उन्नति होगी तथा घर-परिवार में विवाह पुत्र-जन्मादिक मंगल कार्य सम्पन्न होंगे।
आपके द्वारा किये जा रहे प्रायः प्रत्येक कार्यों में सफलता मिलेगी। किसी स्थायी सम्पत्ति के प्राप्त होने का भी अवसर प्राप्त हो सकता है। भूमि-भवन वाहन तथा भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। शनि भी छठें भाव का है जो अत्यन्त शुभफल प्रदाता माना जाता है। रोग एवं शत्रु दोनों पर विजय प्राप्त होगी।
स्त्री-परिवार का उत्तम सुख सान्निध्य प्राप्त होगा। आपके विरोधी आपसे हार मान लेंगे अथवा समझौता कर लेंगे। सातवें भाव का राहु व्यापार एवं व्यवसाय दोनों में वृद्धि कराएगा। राजकीय कार्यों में सफलता मिलेगी। जमीन-जायदाद, सोने-चांदी आदि में निवेश करने के लिए समय अच्छा रहेगा। जुलाई से अगस्त में कड़वी बातों के कारण प्रतिष्ठा, कार्य की हानि हो सकती है। बातचीत में संयम से काम लेना होगा तभी काम सफल होंगे।