
महाभारत केवल एक महाकाव्य नहीं है, यह जीवन के हर पहलू को समझने और उसे सही दिशा देने वाला एक दर्पण है। इसमें न केवल युद्ध, राजनीति और धर्म के गूढ़ रहस्यों का उल्लेख है, बल्कि यह आत्मा, जीवन, कर्तव्य और धर्म के प्रति गहरी समझ प्रदान करता है। इस लेख में हम महाभारत के 5 ऐसे श्लोकों पर चर्चा करेंगे जो किसी भी इंसान के जीवन को सकारात्मक दिशा में बदल सकते हैं।
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1. कर्तव्य का महत्व
“स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।”
(भगवद गीता 3.35)
यह श्लोक हमें सिखाता है कि अपने कर्तव्यों का पालन करना सबसे बड़ा धर्म है। दूसरों के कार्य या जिम्मेदारियों की नकल करना आपको डर और असफलता की ओर ले जा सकता है। इसलिए, अपने धर्म और कर्तव्य का पालन करें।
2. आत्म-नियंत्रण का महत्व
“उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्। आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः।”
(भगवद गीता 6.5)
इस श्लोक का संदेश यह है कि व्यक्ति को अपने मन और आत्मा पर नियंत्रण रखना चाहिए। आपका आत्मसंयम ही आपका सबसे बड़ा मित्र है और इसका अभाव ही आपका सबसे बड़ा शत्रु बन सकता है।
3. संगति का प्रभाव
“यथा संगतयः संजायते स एव नरः।”
यह श्लोक हमें बताता है कि व्यक्ति की संगति ही उसके व्यक्तित्व का निर्माण करती है। अच्छे लोगों के साथ रहें, क्योंकि संगति का असर सीधे आपके जीवन और सोच पर पड़ता है।
4. धैर्य और कर्म का पाठ
“योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय। सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।”
(भगवद गीता 2.48)
यह श्लोक हमें सिखाता है कि कर्म करते समय फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। सफलता और असफलता दोनों को समान दृष्टि से देखना ही सच्चा योग है।
5. क्रोध पर नियंत्रण
“क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृति-विभ्रमः। स्मृति-भ्रंशाद् बुद्धि-नाशो बुद्धि-नाशात्प्रणश्यति।”
(भगवद गीता 2.63)
यह श्लोक हमें क्रोध के दुष्प्रभावों के बारे में चेतावनी देता है। क्रोध से भ्रम पैदा होता है, जिससे स्मृति कमजोर होती है। स्मृति का ह्रास व्यक्ति की बुद्धि का नाश करता है, और अंत में वह पतन की ओर जाता है।