
Amalaki Ekadashi 2025: एकादशी व्रत को अत्यंत पावन एवं पुण्यदायी माना गया है। हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष आध्यात्मिक महत्व है, जो भगवान विष्णु की आराधना के लिए समर्पित होती है।
इस पावन अवसर पर भक्त कठोर उपवास रखते हैं और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। आमलकी एकादशी भी 9 मार्च को पड़ रही है। आइए जानते हैं कि एकादशी तिथि पर चावल का सेवन वर्जित क्यों माना जाता है।
Amalaki Ekadashi 2025: एकादशी पर चावल क्यों नहीं खाना चाहिए?
एकादशी तिथि पर चावल का सेवन निषेध माना गया है। विष्णु पुराण के अनुसार, इस दिन चावल खाने से व्यक्ति के पुण्य का ह्रास होता है तथा घर में दरिद्रता का वास होने लगता है। शास्त्रों में चावल को हविष्य अन्न (देवताओं का भोजन) कहा गया है, इसलिए देवताओं के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने हेतु इस दिन चावल नहीं खाना चाहिए।
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देवी के अवशेष से चावल हुआ उत्पन्न
इसके अतिरिक्त, एक प्राचीन कथा के अनुसार, महर्षि मेधा ने देवी के क्रोध से बचने के लिए अपने शरीर का त्याग कर दिया था, जिसके पश्चात उनके अवशेष पृथ्वी में समा गए और वहीं से चावल तथा जौ का जन्म हुआ।
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यह घटना एकादशी तिथि को घटी थी। इसलिए इस दिन चावल खाना महापाप के समान माना जाता है, क्योंकि यह महर्षि मेधा के शरीर के अंशों के सेवन के तुल्य है।
आमलकी एकादशी 2025: शुभ मुहूर्त एवं तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 9 मार्च 2025 को रात्रि 07:45 बजे प्रारंभ होकर 10 मार्च 2025 को प्रातः 07:44 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, इस बार आमलकी एकादशी व्रत 10 मार्च 2025 को रखा जाएगा।