Pitru Paksha 2024: ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में 16 दिनों तक स्नान, दान, ध्यान और तर्पण करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ-साथ दान पुण्य का भी इस पक्ष में विशेष महत्व होता है। इसके अलावा, ऐसा कहा जाता है कि इस पक्ष में पितरों को तृप्त करने के लिए गाय, कुत्ते या कौए को भोजन कराना चाहिए। खासकर कौए को भोजन देना अनिवार्य होता है।
श्रीराम से जुड़ी है पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवराज इंद्रदेव के बेटे जयंत ने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मार दी थी। इस पूरी घटना को प्रभु श्रीराम ने देखा और एक तिनका उठाकर कौए की ओर फेंका जो उसकी एक आंख में जाकर लगा जिससे कौए रूपी जयंत की एक आंख खराब हो गई।
जयंत को अपनी गलती का आभास हुआ और उसने भगवान श्रीराम से क्षमा याचना की। जिसके बाद भगवान प्रसन्न हुए और उन्होंने कौए को आशीर्वाद दिया कि पितृ पक्ष में कौए को दिया गया भोजन पितृ लोक में निवास करने वाले पितृ देवों को प्राप्त होगा। इसके बाद से ही पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद के लिए पितृपक्ष के दौरान कौए को भोजन दिया जाता है।
यमराज को भी मानते हैं कौए का प्रतीक
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कौए को मृत्यु के देवता यमराज का प्रतीक माना जाता है। साथ ही ऐसा कहा जाता है कि कौए को भोजन कराने से पितृ प्रसन्न होते हैं और यमलोक में उन्हें शांति मिलती है। वहीं, कौए को पितरों का स्वरूप भी माना जाता है और भोजन कराने से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं और श्राद्ध करने वाले को व्यक्ति को अपना आशीर्वाद देते हैं। वहीं, गरुड़ पुराण के अनुसार, यमराज ने कौए को वरदान दिया था कि उसे दिया गया भोजन संबंधित व्यक्तियों के पितरों की आत्मा को शांति देगा।
मनुष्य योनि के बाद कौआ योनि में करती है प्रवेश मृतात्मा
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, मनुष्य योनि के बाद मृतात्मा सर्वप्रथम कौआ योनि में प्रवेश करती है। इस वजह से मृतक का मनपसंद का भोजन सबसे पहले कौवों को खिलाया जाता है।
पितृ पक्ष में पंच बली अवश्य निकालें
चींटी
गाय
कौआ
कुत्ता
देवादि बलि
Pitru Paksha 2024: क्या है श्राद्ध का अर्थ, माता के श्राद्ध के लिए यह जगह है प्रसिद्ध
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर उत्तरदायी नहीं है।