
सनातन धर्म में हनुमान जी को परम भक्त, महाशक्ति, और संकटमोचन के रूप में पूजा जाता है। उन्हें शिवजी का रुद्रावतार भी माना गया है। रामचरितमानस और पुराणों में उल्लेख मिलता है कि हनुमान जी को अष्ट सिद्धियाँ और नव निधियाँ प्राप्त थीं। हनुमान जी को ‘अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता’ कहा जाता है. यह वाक्य हनुमान चालीसा की एक चौपाई में मिलता है। यह शक्तियाँ उन्हें श्रीराम की कृपा और माता अंजनी व वायुदेव के आशीर्वाद से प्राप्त हुई थीं।
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Hanuman Jayanti 2025: अष्ट सिद्धियाँ (8 सिद्धियाँ)
अष्ट सिद्धियाँ वे अद्भुत योगिक शक्तियाँ हैं, जिनके माध्यम से कोई भी साधक भौतिक और आध्यात्मिक जगत को नियंत्रित कर सकता है। हनुमान जी इन सभी आठों सिद्धियों के पूर्ण अधिकारी हैं। ये सिद्धियाँ इस प्रकार हैं:
- अणिमा (Anima)- अपने शरीर को अणु के समान सूक्ष्म बना लेने की शक्ति।
- महिमा (Mahima)- अपने शरीर को विशाल रूप में विस्तारित कर लेने की शक्ति।
- गरिमा (Garima)- शरीर को अत्यधिक भारी बना लेने की शक्ति।
- लघिमा (Laghima)- शरीर को बहुत ही हल्का बना लेने की शक्ति।
- प्राप्ति (Prapti)- किसी भी वस्तु को, कहीं भी जाकर प्राप्त कर लेने की शक्ति।
- प्राकाम्य (Prakamya)- इच्छित वस्तु की प्राप्ति या उसे साकार करने की शक्ति।
- ईशित्व (Isitva)- संसार पर शासन करने की शक्ति।
- वशित्व (Vasitva)- अन्य जीवों, वस्तुओं या इंद्रियों को वश में करने की शक्ति।
Hanuman Jayanti 2025: नव निधियाँ (9 निधियाँ)
“नव निधियाँ” कुबेर की विशेष संपत्तियाँ मानी जाती हैं, जो भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक हैं। ये हनुमान जी को उनके परम तप और सेवा के कारण प्राप्त हुईं।
इन 9 निधियों के नाम:
- पद्म
- महापद्म
- शंख
- मकर
- कच्छप
- मुखुंद
- कुंद
- नील
- खर्व
माता सीता का वरदान
अशोक वाटिका की गहन छाया में जब हनुमानजी ने माता सीता का दर्शन किया, उस क्षण उनकी लघिमा सिद्धि ने अद्भुत चमत्कार किया। यही वह अलौकिक शक्ति थी जिसने उन्हें एक तिनके के समान सूक्ष्म कर दिया, ताकि वे बिना किसी विघ्न के माता के सम्मुख उपस्थित हो सकें।
माता सीता द्वारा प्रदान किया गया यह दिव्य वरदान, केवल उन्हें संकटों का निवारक नहीं बनाता- यह उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा और भौतिक जगत के बीच सेतुबंध की भांति प्रतिष्ठित करता है। जब कोई श्रद्धालु अपनी विकल पुकार के साथ उन्हें स्मरण करता है, तो हनुमान केवल भय का हरण नहीं करते, बल्कि उस जीवन में एक अनजानी ज्योति की सौगात छोड़ जाते हैं।
यह वरदान जीवन की दिशा को मोड़ता है- एक ऐसी दिशा जो साधारणता की सीमाओं को तोड़कर आत्मबोध और ब्रह्म की ओर यात्रा प्रारंभ कर देती है। हनुमानजी केवल एक देव नहीं, बल्कि चेतना के जागरण की ज्वाला हैं, जो हर भक्त की अंतरात्मा में विश्रांति भरते हैं।
यह वही शक्तिपुंज हैं, जिनके चरणों में समर्पण मात्र से अदृश्य बंधनों का क्षय होता है और मनुष्य एक नवीन आकाश की ओर उन्मुख होता है- जहाँ भय नहीं, केवल विश्वास की सांसें होती हैं।