Kharmas 2024: 15 दिसंबर से शुरू हो रहा खरमास, भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये काम

सूर्य को ग्रहों का राजा कगया है। ऐसे में सूर्य का प्रत्येक राशि परिवर्तन बहुत मायने रखता है। सूर्य जब भी अपनी राशि बदलते हैं तो इसे संक्रांति कहा जाता है। सूर्य के सभी 12 राशियों के गोचर या संक्रांति में से धनु संक्रांति और मकर संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण हैं। हर साल के अंत में सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं जिसे धनु संक्रांति कहा जाता है और इसी दिन से खरमास या मलमास की शुरुआत होती है। खरमास मकर संक्रांति के दिन खत्म होता है। आइए जानते हैं इस साल कब से खरमास कब शुरू हो रहा है?

कब से शुरू हो रहा खरमास?

इस साल सूर्य 16 दिसंबर 2024 को धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं यानी 16 दिसंबर को धनु संक्रांति के साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी जो कि 15 जनवरी 2025 को खत्म होगी। इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी।

खरमास क्या है?
खरमास हिंदू पंचांग के अनुसार एक विशेष समय अवधि है, जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं। इसे मलमास या धनु संक्रांति भी कहते हैं। खरमास का संबंध वैदिक ज्योतिष से है, और इसका नाम “खर” (गधा) शब्द से लिया गया है, जो इस मास को “अशुभ” और “शिथिलता” से जोड़ता है। यह मास लगभग 30 दिनों तक चलता है। सूर्य जब धनु राशि में होते हैं, तो उस समय को खरमास माना जाता है। यह आमतौर पर 15 दिसंबर से 14 जनवरी तक होता है।

खरमास में क्या नहीं करना चाहिए?

  • शादी और विवाह समारोह- खरमास के दौरान विवाह, सगाई और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इसे अशुभ माना जाता है।
  • गृह प्रवेश और नया घर बनाना- इस समय घर का निर्माण शुरू करना, गृह प्रवेश या कोई नया प्रोजेक्ट आरंभ करना वर्जित माना जाता है।
  • नया व्यवसाय या व्यापार शुरू करना- इस दौरान नए व्यापार, नौकरी, या निवेश की शुरुआत करने से बचना चाहिए।
  • जमीन या प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त- खरमास में जमीन, गाड़ी, या अन्य मूल्यवान संपत्ति खरीदने की सलाह नहीं दी जाती।
  • मांगलिक आयोजन- जैसे यज्ञोपवीत, नामकरण संस्कार या अन्य शुभ समारोह भी इस अवधि में नहीं किए जाते।

खरमास में क्या करना चाहिए?

  • धार्मिक कार्य और पूजा-पाठ- इस समय भगवान विष्णु, सूर्य देव और शिव जी की पूजा करें। भागवत कथा, रामायण और गीता का पाठ करना शुभ माना जाता है।
  • दान और पुण्य- खरमास में दान को अत्यंत शुभ माना जाता है। अन्न, कपड़े, और धन का दान करना पुण्य प्रदान करता है।
  • साधना और ध्यान- यह समय आत्मचिंतन, ध्यान और आध्यात्मिक साधना के लिए उपयुक्त है।
  • सादा जीवन और संयम- इस अवधि में सादगीपूर्ण जीवन जीने और संयम का पालन करने की सलाह दी जाती है।

खरमास के पीछे की मान्यता
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव अपने रथ पर सवार होकर हर राशि में भ्रमण करते हैं। उनका रथ सात घोड़ों से खींचा जाता है। जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो उनके घोड़े थक जाते हैं, और गधे उनकी जगह ले लेते हैं। गधे धीमे चलते हैं, जिससे इस समय को खरमास कहा जाता है। गधे के धीमे चलने के कारण शुभ कार्य भी रुक जाते हैं।

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