Kumbha Sankranti: आज ही है माघ पूर्णिमा व कुंभ संक्रांति, करें ये उपाय

आज 12 फरवरी दिन बुधवार को माघ पूर्णिमा (Magha Purnima) और कुंभ संक्रांति (Kumbha Sankranti) दोनों एक साथ पड़ रही है। आज हम माघ पूर्णिमा के महत्व व पूजा के मुहूर्त के साथ साथ कुंभ संक्रांति के महत्व तथा संक्रांति के पुण्य काल व महापुण्यकाल के बारे में बता रहे हैं। इन दोनों के व्रत-पर्व का विशेष ज्योतिष पहलू है। आइए इन दोनों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

February Month Vrat-Festival: इस महीने में आएंगे महाशिवरात्रि समेत ये बड़े त्योहार, जानिए पूरे माह का कैलेंडर

मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य देव

इस वर्ष माघ महीने की पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी की शाम 6 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 12 फरवरी की शाम 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगी। 12 फरवरी को सुबह 7 बजकर 55 मिनट तक भद्रा का साया भी रहने वाला है जिसे अधिकांश शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना गया है। इस बार 12 फरवरी को ही कुंभ संक्रांति भी पड़ रही है। यानी इसी दिन भगवान सूर्य नारायण मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। कुंभ संक्रांति का क्षण रात 10 बजकर 4 मिनट रहेगा।

इसका पुण्यकाल दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से शाम 5 बजकर 59 मिनट यानी करीब 5 घंटे 33 मिनट जबकि महापुण्यकाल शाम 4 बजकर 8 मिनट से 5 बजकर 59 मिनट यानी करीब 1 घंटे 51 मिनट का रहने वाला है। अब अगर बात करें चंद्रोदय की तो 12 फरवरी को चंद्रदेव शाम 5 बजकर 49 मिनट पर उदित होंगे। इस दिन के पूजा के मुहूर्तों की बात करें तो- शाम 5 बजकर 57 मिनट से 6 बजकर 23 मिनट तक गोधूलि मुहूर्त रहने वाला है जबकि शाम 5 बजकर 55 मिनट से 7 बजकर 35 मिनट तक अमृतकाल और शाम 5 बजकर 59 मिनट से 7 बजकर 17 मिनट तक संध्या का समय रहेगा। इसके अलावा दोपहर 2 बजकर 18 मिनट से 3 बजकर 2 मिनट तक विजय मुहूर्त रहने वाला है।

Mahakumbh 2025: कैसे बनते हैं नागा साधु, क्यों करना पड़ता है स्वयं का श्राद्ध और पिंडदान

नदी में स्नान का विशेष महत्व

मान्यता के अनुसार,  संभव हो सके तो माघी पूर्णिमा के दिन जातक को गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान अवश्य करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन स्वयं भगवान विष्णु गंगा जल में निवास करते हैं। इस दिन गंगा स्नान और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को विशेष कृपा मिलती है।

आज का ज्योतिष पहलू

अब बात करते हैं इन दोनों ही व्रत और पर्व के ज्योतिष पहलू की। इस बार माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान रहने वाले। कर्क यानी कैंसर को चंद्रमा की खुद की राशि माना गया है। इसके साथ ही सूर्यदेव अपने पुत्र कर्मफल दाता शनि महाराज की राशि मकर से उन्हीं की दूसरी राशि यानी कुंभ राशि में आ रहे हैं। इन खगोलीय घटनाओ ने इस दिन को ख़ास बना दिया है।

Mahakumbh 2025: मोह माया से कोसों दूर रहने वाले नागा साधु कुंभ मेले में क्यों निकालते हैं शाही बारात, शिव-शक्ति से है इसका संबंध

जानिए ये उपाय

  • शास्त्रों में पूर्णिमा और संक्रांति के दिन दान-पुण्य करने को काफी महत्व दिया गया है। इस दिन खासकर जरूरतमंद लोगों को खाना, कपड़े और अन्य चीजें दान करने से व्यक्ति के जीवन में शांति बनी रहती है और पूर्व जन्मों के पापों का नकरात्मक प्रभाव कम होने लगता है। जिन्हें माघी पूर्णिमा के दिन करने से आप अपनी कुंडली के ग्रह को बैलेंस कर उनके सकरात्मक परिणाम भी पा सकते हैं। अगर आप सूर्यदेव के पॉजिटिव रिजल्ट पाना चाहते हैं तो आपको इस दिन आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ करने के साथ ही रोजाना सूर्योदय से पहले जागने का संकल्प लेना चाहिए। अगर संभव हो तो माघी पूर्णिमा के दिन लाल कपड़ा भी दान करने से भी सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।
  •  जो लोग शांति चाहते हैं और जिनकी कुंडली में चंद्रमा नेगेटिव इम्पैक्ट दे रहा हो उन्हें पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए और चंद्रमा को शंख से दूध का अर्घ्य देना चाहिए। इसके आलावा आप सफ़ेद रंग की चीजें मसलन दूध, घी, सफ़ेद कपड़ा आदि भी दान कर सकते हैं।
  • जिन लोगों की कुंडली में लाल ग्रह मंगल नेगेटिव इम्पैक्ट डाल रहे हैं उन्हें माघी पूर्णिमा की दिन बंदरों को चने और गुड़ खिलाना चाहिए।
  • राजकुमार बुध महाराज की शांति के लिए जातक इस दिन गाय को हरी घास खिला सकते हैं और हरी सब्जी व आंवले का तेल दान देने से भी पॉजिटिव इम्पैक्ट आने लगता है।
  • देवगुरु बृहस्पति यानी जुपिटर के उपाय की। माघी पूर्णिमा के दिन केसर का तिलक लगाने और केले, चंदन आदि का दान करने से आपको देवगुरु पॉज़िटिव रिजल्ट देने लगेंगे।
  • शुक्र महाराज के पॉजिटिव रिजल्ट्स के लिए आपको इस दिन इत्र लगाना चाहिए और सभी लेडीज को रेस्पेक्ट देने का संकल्प लेना चाहिए। महिलाओं के सम्मान का संकल्प लेने से आप पर न्याय प्रिय माने जाने वाले शनिदेव की कृपा भी बरसने लगेगी।
  • राहु और केतु के नेगेटिव इम्पैक्ट को कम करने की। केतु को पॉजिटिव करने के लिए इस दिन आपको किसी मंदिर में झंडा लगवाना चाहिए। इसे अलावा राहू के कोप से बचने के लिए आपको स्ट्रीट डॉग्स को फीड करना चाहिए।
  • इस दिन सूर्य देव शनि महाराज की ही दूसरी राशि में आ रहे हैं इस लिहाज से 12 फरवरी के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना भी अच्छे फल देने वाला साबित होगा। अगर पिता-पुत्र के विचारों में अंतर आ रहा हो या दोनों में अंडर स्टेंडिंग का कोई इश्स्यु हो तो ये उपाय आपके लिए रामबाण साबित हो सकता है।

Mahakumbh 2025: कौन होते हैं अघोरी साधु, क्यों रहस्यमयी होता है उनका जीवन; नागा बाबाओं से कैसे हैं अलग

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर उत्तरदायी नहीं है।

Related Posts

Varuthini Ekadashi 2025: वरुथिनी एकदाशी व्रत करने से मिलता है सहस्रों वर्षों के तप के बराबर फल, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण का समय

वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) जिसे कई बार ‘वरुथिनी ग्यारस’ कहकर पुकारा जाता है, एक अत्यंत पुण्यकारी तिथि है जो वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती है।और पढ़ें

और पढ़ें

Panchkoshi Yatra 2025: 23 अप्रैल से शुरू हो रही है पंचकोसी यात्रा, जानें इसका महत्व

Panchkoshi Yatra 2025: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हर साल की तरह इस बार भी वैशाख कृष्ण दशमी के पावन अवसर पर पंचकोशी यात्रा का शुभारंभ 23 अप्रैल 2025और पढ़ें

और पढ़ें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share
मेष राशि के लिए लाल किताब के अचूक टोटके बजरंगबली की अष्ट सिद्धियाँ कौन हैं? Mahakumbh 2025 की 10 शानदार तस्वीरें महाकुंभ की 10 अनदेखी तस्वीरें कुंभ मेले में आकर्षण का केंद्र बने “मस्कुलर बाबा”