
महावीर जयंती जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन उनके जीवन, शिक्षाओं और त्याग को याद करने का अवसर होता है।
Mahavir Jayanti 2025: कौन थे भगवान महावीर?
भगवान महावीर का जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व में बिहार राज्य के वैशाली (वर्तमान में कुण्डलपुर) में एक राजपरिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था।
जन्म के समय उनका नाम वर्धमान रखा गया था। उन्होंने 30 वर्ष की आयु में सभी सांसारिक सुखों का त्याग करके साधु जीवन अपना लिया और 12 वर्षों तक कठोर तपस्या के बाद उन्हें कैवल्य ज्ञान (परम ज्ञान) प्राप्त हुआ।
Mahavir Jayanti 2025: भगवान महावीर का जीवन जीने का मंत्र
भगवान महावीर ने अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के पाँच मूल सिद्धांत दिए, जिन्हें ‘पंच महाव्रत’ कहा जाता है। इन्हीं के आधार पर उन्होंने एक शांतिपूर्ण और संतुलित जीवन जीने का रास्ता दिखाया।
1. अहिंसा (Non-violence)
प्रत्येक जीव में आत्मा होती है, इसलिए किसी भी प्राणी को हानि न पहुँचाना ही सच्चा धर्म है।
2. सत्य (Truth)
हमेशा सत्य बोलना चाहिए, लेकिन वह भी ऐसा जो किसी को आघात न पहुँचाए।
3. अचौर्य (Non-stealing)
कभी भी किसी की वस्तु बिना अनुमति न लें।
4. ब्रह्मचर्य (Celibacy/Chastity)
इंद्रियों पर संयम और पवित्र जीवनशैली अपनाना।
5. अपरिग्रह (Non-possessiveness)
संपत्ति, संबंध या इच्छाओं में अधिक लिप्त न होना; जितना आवश्यक है उतना ही रखना।
महावीर जयंती का महत्व
इस दिन जैन मंदिरों में भगवान महावीर की मूर्तियों का जलाभिषेक (स्नान) किया जाता है। प्रवचन, ध्यान और दान-पुण्य के कार्य होते हैं। भगवान महावीर के जीवन और उपदेशों को याद करके लोग आत्मनिरीक्षण करते हैं। “अहिंसा परम धर्म है” — यही भगवान महावीर का मूल मंत्र था। वे हमें सिखाते हैं कि अंदर की शांति और बाहरी सुख-शांति तब मिलती है जब हम संयमित, सरल और सत्यपूर्ण जीवन जीते हैं।