शरीर पर तिल होने का अर्थ: जानें किस अंग पर तिल होने का क्या मतलब होता है
शरीर पर तिल के निशान को ज्योतिष और सामुद्रिक शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। यह माना जाता है कि तिल का स्थान और आकार व्यक्ति के जीवन पर प्रभावऔर पढ़ें
Read moreGuru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा का महाभारत के रचयिता वेदव्यास से क्या है संबंध
भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में भगवान से भी बड़ा दर्जा अगर किसी को प्राप्त है तो वह हैं गुरु। भारत में गुरु-शिष्य परंपरा सदियों से चली आ रही हैऔर पढ़ें
Read moreSawan 2024: 21 या 22 कब से शुरू हो रहा सावन, विस्तार से जानें तिथि और मुहूर्त
सावन या श्रावण मास का हिंदू धर्म में बहुत ही विशेष धार्मिक महत्व है। भगवान शिव के भक्त पूरे साल श्रावण मास के आने का इंतजार करते हैं। सावन कोऔर पढ़ें
Read moreछींक विचार: एक नाक, दो छींक, काम बने सब ठीक, जानिए छींक से जुड़े शकुन और अपशकुन
छींक का आना एक स्वभाविक प्रक्रिया है। यह किसी को भी किसी भी वक्त आ सकती है। इंसान हो या जानवर छींक सभी को आती है। कई बार छींक तेजऔर पढ़ें
Read moreDevshayani Ekadashi: देवशयनी एकादशी से योगनिद्रा में चल जाएंगे सृष्टि के पालनकर्ता, अगले चार माह तक नहीं होंगे मांगलिक कार्य
सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है। प्रत्येक माह में दो एकादशी आती हैं परंतु आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसेऔर पढ़ें
Read moreGanesha Pancharatnam: गणेश पंचरत्नम्
मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम् कलाधरावतंसकं विलासलोक रक्षकम्। अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकम् नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम्॥1॥ नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरम् नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्धरम्। सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरंऔर पढ़ें
Read moreAnnapurna Stotram: अन्नपूर्णा स्तोत्रम्, नित्य पाठ करने से नहीं होगी धन्य धान्य की कमी
नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी । प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥१॥ नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी । काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वरी भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥२॥ योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी ।और पढ़ें
Read moreAshtalakshmi Stotram: अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्
॥ आदिलक्ष्मि ॥ सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,चन्द्र सहोदरि हेममये मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि,मञ्जुळभाषिणि वेदनुते। पङ्कजवासिनि देवसुपूजित,सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते जय जय हे मधुसूदन कामिनि,आदिलक्ष्मि सदा पालय माम्॥1॥ ॥ धान्यलक्ष्मि ॥ अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि,वैदिकरूपिणिऔर पढ़ें
Read moreDvadasa Jyotirlinga Stotram: द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रिशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोमकारममलेश्वरम्॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारूकावने॥ वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमी तटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥ एतानिऔर पढ़ें
Read moreShri Suktam Path: श्री सूक्तम्
ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।। तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।। अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।और पढ़ें
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