
सनातन धर्म की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि इसमें कुछ भी बिना तर्क और मतलब का नहीं होता है। सनातन में सभी कार्यों के पीछे एक बड़ा वैदिक कारण और एक तर्क होता है। सनातन धर्म में कई तरह के कार्यों की मनाही होती है जिसका कुछ लोग विरोध करते हैं, हालांकि ये वे लोग होते हैं जिन्हें वास्तविक जानकारी नहीं होती है। आज हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताएंगे जिन्हें जानना आपके लिए बहुत ही आवश्यक है।
सनातन धर्म की 11 महत्वपूर्ण बातें
- पूजागृह में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो गोमती-चक्र और दो शालिग्राम का पूजन नहीं करना चाहिए।
- घर में 9 इंच (22 सेंटीमीटर) से छोटी देव प्रतिमा होनी चाहिए। इससे बड़ी प्रतिमा घर में शुभ नहीं होती है उसे मंदिर में रखना चाहिए।
- परिक्रमा देवी की एक बार, सूर्य की सात बार, गणेश की तीन बार, विष्णु की चार बार पक्ष तथा शिव की आधी परिक्रमा करनी चाहिए।
- आरती करते समय भगवान् विष्णु के समक्ष बारह बार, सूर्य के समक्ष सात, दुर्गा के समक्ष नौ, शंकर के समक्ष ग्यारह और गणेश के समक्ष चार बार आरती घुमानी चाहिए।
- पूजा करते समय केवल भूमि पर न बैठें। आसन जरूर बिछावें।
- शिलान्यास सर्वप्रथम आग्नेय दिशा में होना चाहिए। शेष निर्माण प्रदक्षिण-क्रम से करना चाहिए। मध्याह्न, मध्य रात्रि और सन्ध्याकाल में नींव न रखें।
- पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में नीची भूमि सबके लिये अत्यंत लाभप्रद होती है। अन्य दिशाओं में नीची भूमि सबके लिये हानिकारक होती है।
- घर के उत्तर प्लक्ष (पाकड़), पूर्व में वटवृक्ष, चतुर्दश दक्षिण में गुलर और पश्चिम में पीपल का वृक्ष शुभप्रद होता है। पेड़ की छाया घर पर नहीं पड़नी चाहिए।
- ईंट, लोहा, पत्थर, मिट्टी और लकड़ी-ये नए हैं। इन्हें नए मकान में नए ही लगाने चाहिए। एक मकान की सामग्री को दूसरे मकान में लगाना अत्यंत हानिकारक है।
- सोने के समय सदा पूर्व अथवा दक्षिण दिशा की ओर सिर रखना चाहिए।
- प्रतिदिन माथे पर तिलक, चंदन लगाकर ही कार्य के लिए निकलें।