Sawan Special: उत्तर प्रदेश के कुछ पौराणिक शिव मंदिर, वृंदावन में विराजमान हैं गोपीश्वर महादेव

सावन 2024 स्पेशल में आज हम उत्तर प्रदेश के कुछ प्राचीन शिव मंदिरों की चर्चा करेंगे और उनके बारे में जानेंगे। सबसे पहल चर्चा वृंदावन से शुरू होगी।

नंदगांव में नन्देश्वर महादेव
कथा है कि श्री कृष्णावतार के समय बाबा भोलेनाथ साधु-वेष में गोकुल पधारे। श्री यशोदा जी ने वेष देखकर दर्शन नहीं कराया। धूनी द्वार पर लगा दी। लाला रोने लगे। नजर लग गयी। बाबा भोलेनाथ ने नजर उतारी। गोद में लेकर नंद के आंगन में नाच उठे। आज भी नंदगांव में ‘नन्देश्वर’ नाम से विराजमान हैं।

वृंदावन में गोपीश्वर महादेव
वृंदावन में भगवान् श्रीकृष्ण ने वंशीवट पर महारास किया था, उसको देखने के लिये भगवान् शंकर को ‘गोपी’ बनना पड़ा। वृंदावन नित्य है, रास नित्य है, आज भी रास होता है, श्रीगोपीश्वर महादेव नित्य हैं, रास देख रहे हैं। एक बार शरत्पूर्णिमाकी शरद्-उज्ज्वल चांदनीमें वंशीवट पर यमुना के किनारे मनमोहन श्यामसुन्दर साक्षात् मन्मथनाथ की वंशी बज उठी।

श्रीकृष्ण ने छः मास की एक रात्रि करके मन्मथ का मानमर्दन करने के लिये महारास किया था। मनमोहन की मीठी मुरली ने कैलास पर विराजमान भगवान् श्रीशंकर को मोह लिया, समाधि भंग हो गयी। बाबा बावरे-से चल पड़े व्रज-वृंदावनकी ओर। पार्वतीजी भी मनाकर हार गयीं, किंतु त्रिपुरारि माने नहीं। भगवान् श्री कृष्णके परम भक्त श्री आसुरि मुनि, श्री पार्वतीजी, नंदी, श्री गणेश, श्री कार्तिकेय के साथ भगवान् शंकर वृंदावन के वंशीवटपर आ गये।

Sawan Special: बिहार के पौराणिक शिव मंदिर, मिथिलांचल में रही है शिव मंदिरों की प्रधानता

शिव ने धरा गोपी का रूप
वेशीवट पर जहां महारास हो रहा था, वहां गोलोक-वासिनी गोपियां द्वार पर खड़ी हुई थीं। पार्वतीजी तो महारास में अंदर प्रवेश कर गयी, किंतु द्वारपालिकाओं ने श्री महादेवजी और श्री आसुरि मुनि को अंदर जाने से रोक दिया, बोलीं-श्रेष्ठ जनो। यहां एक ही पुरुष श्रीकृष्ण के अतिरिक्त अन्य कोई पुरुष इस एकान्त महारास में प्रवेश नहीं कर सकता। श्री शिवजी बोले- देवियो। हमें भी महारास तथा श्री राधा-कृष्ण के दर्शनों की लालसा है, अतः आप ही लोग कोई उपाय बतलाइये जिससे कि हम महारासके दर्शन करें?

ललिता नामक सखी बोली- यदि आप महारास देखना चाहते हैं तो गोपी बन जाइये। मानसरोवर में स्नानकर गोपीरूप धारण करके महारास में प्रवेश हो सकता है। फिर क्या था भगवान् श्री शिव अर्धनारीश्वर से पूरे नारी-रूप बन गये। श्री यमुनाजी ने षोडश शृंगार कर दिया तो बाबा भोलेनाथ गोपीरूप हो गये, प्रसन्न मनसे वे गोपी-वेष में महारास में प्रवेश कर गये।

वनवारी से क्या कुछ छिपा है?

श्री महादेव जी मोहिनी वेष में मोहनकी रासस्थली में गोपियों के मण्डलमें मिलकर अतृप्त नेत्रों से विश्वमोहन की रूप-माधुरी का पान करने लगे। नटवर-वेषधारी श्री रासविहारी, रासेश्वरी, रसमयी श्री राधिकाजी एवं गोपियोंको नृत्य एवं रास करते हुए देखकर नटराज भोलेनाथ भी स्वयं ता-ता भैया कर नाच उठे। मोहनने ऐसी मोहिनी वेशी बजायी कि सुधि-बुधि भूल गये भोलानाथ। वनवारी से क्या कुछ छिपा है?

मुसकरा उठे, पहचान लिया भोलेनाथ को। उन्होंने रासेश्वरी श्रीराधा तथा गोपियों को छोड़कर ब्रज-वनिताओं और लताओंक बीचमें गोपी रूपधारी गौरीनाथ का हाथ पकड़ लिया और मन्द मन्द मुसकराते हुए बड़े ही आदर-सत्कारसे बोले आइये स्वागत है महाराज गोपीश्वर। श्रीराधा आदि श्रीगोपीश्वर महादेवके मोहिनी गोपीवेष रूप को देखकर आश्चर्य में पड़ गयी। तब कृष्ण ने कहा- राधे। यह कोई गोपी नहीं है. ये तो साक्षात् भगवान् शंकर है। हमारे महारास के लिए इन्होंने गोपी रूप धारण किया है।

श्री राधा-कृष्ण ने हंसते हुए श्री शिवजी से पूछा- ‘भगवन् । आपने यह गोपी-वेष क्यों बनाया?’ भगवान् शंकर बोले- प्रभो। आपकी इस दिव्य रसमयी प्रेम-लौला-महारास को देखने के लिये गोपी-रूप धारण किया है। इस पर प्रसन्न होकर श्री राधाजी ने श्री महादेवजी से वर मांगने को कहा तब श्री शिवजी ने यह वर मांगा-

‘हम यह चाहते हैं कि हमारा आप दोनों के चरण कमलों में सदा ही वृंदावन में वास हो। आप दोनों के चरण कमलों के बिना हम कहीं अन्यत्र वास नहीं करना चाहते।’ भगवान् श्री कृष्णने ‘तथास्तु’ कहकर कालिन्दी के निकट निकुञ्जके पास, वंशीवटके सम्मुख भगवान् महादेव जी को ‘श्रीगोपीश्वर महादेव के नाम से स्थापित कर विराजमान कर दिया।

श्रीराधा-कृष्ण, गोपी-गोपों ने उनकी पूजा की और कहा कि ब्रज-वृंदावन की यात्रा तभी पूर्ण होगी, जब वह आपके दर्शन कर लेगा। भगवान शंकर आज भी वृंदावन में गोपीश्वर महादेव के रूप में विराजमान हैं।

Related Posts

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति को खिचड़ी क्यों कहा जाता है? खिलजी और खिचड़ी की क्या है कहानी

मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे “खिचड़ी पर्व”और पढ़ें

Read more

Geeta Shloks: गीता के 5 श्लोक जो जीवन बदल सकते हैं, जरूर पढ़ें

भगवद्गीता को हिन्दू धर्म में जीवन का मार्गदर्शन करने वाली सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक माना गया है। इसके श्लोक न केवल आध्यात्मिक विकास के लिए हैं, बल्कि दैनिक जीवन के संघर्षोंऔर पढ़ें

Read more

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Jitiya 2024: कब है जितिया का पारण? 100 साल बाद गणेश चतुर्थी पर बन रहा महायोग, ये राशियां होंगी मालामाल सोमवती अमावस्या की रात जरूर करें ये एक काम सपने में देखी गई इन कुछ खास चीजों का मतलब घर में है तुलसी का पौधा तो भूलकर भी ना करें ये दो काम