
माघ पूर्णिमा (Magha Purnima) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा को आता है। यह दिन आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी-फरवरी के महीने में पड़ता है। इसे ‘माघी पूर्णिमा’ या ‘महामाघी’ के नाम से भी जाना जाता है। यह माघ मास का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। हिंदू शास्त्रों में पूर्णिमा को धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों के लिए शुभ माना गया है, और उनमें से माघ पूर्णिमा विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। इसके अलावा देश के कई हिस्सों में इस दिन मेला लगता है जिसे ‘माघ मेला’ कहा जाता है। इसी दिन ही सूर्य मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे जिससे इस दिन कुंभ संक्रांति भी मनाई जाएगी।
प्रत्येक वर्ष इस दिन लाखों श्रद्धालु प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं। वहीं, देश के अन्य हिस्सों में भी पवित्र नदियों में लोग ब्रह्म मुहूर्त में इस दिन स्नान करने के बाद दान पुण्य करते हैं। वहीं, वर्तमान में प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है जो कि 144 वर्ष के दुर्लभ संयोग के बाद आया है। दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी इस पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। तमिलनाडु में इस दिन प्रसिद्ध ‘फ्लोट फेस्टिवल’ मनाया जाता है, जिसमें देवी मीनाक्षी और भगवान सुंदरेश्वर की सुंदर सजाई गई मूर्तियों को जल में तैरते हुए झांकियों पर रखा जाता है। इसके अलावा, माघ पूर्णिमा बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी खास मानी जाती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इसी दिन गौतम बुद्ध ने अपने निकट भविष्य में निर्वाण प्राप्त करने की घोषणा की थी।
तिथि
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – फरवरी 11, 2025 को 06:55 पी एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – फरवरी 12, 2025 को 07:22 पी एम बजे
माघ पूर्णिमा के दिन करें ये कार्य
पवित्र स्नान:
माघ पूर्णिमा के दिन भक्तों को सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी, सरोवर या किसी जलाशय में स्नान करना चाहिए। जो लोग नदी में स्नान नहीं कर सकते, वे अपने घर में स्नान जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
पूजा-अर्चना:
स्नान के बाद भक्त भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा करते हैं। इस दिन ‘इष्ट देवता’ के साथ-साथ देवी पार्वती और देव गुरु बृहस्पति की भी पूजा की जाती है, क्योंकि बृहस्पति माघ नक्षत्र के देवता माने जाते हैं।
सत्यनारायण पूजा:
इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा के साथ ‘सत्यनारायण पूजा’ करते हैं और ‘सत्यनारायण कथा’ का पाठ भी किया जाता है। पूजा में केले के पत्ते, चंदन, तिल, सुपारी, मोली और फल चढ़ाए जाते हैं। भगवान विष्णु के अधिकतर मंदिरों में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भक्त शाम के समय मंदिर जाकर दर्शन करते हैं।
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व्रत और उपवास:
माघ पूर्णिमा के दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है। इस व्रत में भक्त दिनभर उपवास रखते हैं और केवल शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करते हैं। इस दिन केवल एक समय भोजन करने का नियम होता है।
दान-पुण्य:
इस दिन वस्त्र, अन्न, घी, गुड़, फल आदि का दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। दान किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद व्यक्ति को करना चाहिए। हिंदू धर्मशास्त्रों में माघ माह में तिल (तिल के बीज) का दान विशेष रूप से शुभ बताया गया है।
पितरों का तर्पण:
कुछ क्षेत्रों में इस दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करने का भी विशेष महत्व होता है। भक्त अपने दिवंगत पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए जल अर्पित करते हैं।
माघ पूर्णिमा का महत्व
माघ पूर्णिमा (Magha Purnima) का महत्व ‘ब्रह्म वैवर्त पुराण’ में बताया गया है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगा नदी में वास करते हैं, इसलिए कहा जाता है कि इस दिन गंगा नदी के जल को स्पर्श मात्र करने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। इस दिन गंगा, सरस्वती और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से विशेष लाभ मिलता है। माघ पूर्णिमा का व्रत सच्चे मन से करने से पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा शुद्ध होती है। इस दिन किया गया दान महायज्ञ करने के समान पुण्य देता है।
ज्योतिषीय और वैज्ञानिक महत्व
माघ पूर्णिमा (Magha Purnima) का ज्योतिष शास्त्र में भी विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य मकर राशि में और चंद्रमा कर्क राशि में होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से जुड़े दोष समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा, माघ मास का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्व है। इस महीने में ऋतु परिवर्तन होता है, जिससे शरीर को नए मौसम के अनुसार ढलने में मदद मिलती है। इसलिए माघ पूर्णिमा (Magha Purnima) पर स्नान करने से शरीर को शक्ति और ऊर्जा मिलती है।
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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर डॉट कॉम उत्तरदायी नहीं है।