
मंदिरों में घंटा: भारत के किसी भी हिंदू मंदिर में प्रवेश करते ही सबसे पहले जो चीज हमारा ध्यान खींचती है, वह है मुख्य द्वार या गर्भगृह के पास टंगी हुई घंटी या घंटा। भक्त मंदिर में प्रवेश करने से पहले या भगवान के सामने खड़े होकर घंटा बजाते हैं।
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यह एक सदियों पुरानी परंपरा है, जिसे लगभग हर मंदिर में निभाया जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मंदिर में घंटा क्यों टांगा जाता है? इसका कोई धार्मिक या वैज्ञानिक कारण भी है या यह केवल एक परंपरा मात्र है? इस लेख में हम जानेंगे मंदिरों में घंटा टांगने की धार्मिक मान्यता, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, और इसके पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्य के बारे में।
धार्मिक मान्यता: ईश्वर को आमंत्रण
हिंदू धर्म के अनुसार, मंदिर में घंटा बजाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण पवित्र हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि घंटे की ध्वनि भगवान को आमंत्रित करती है, जिससे देवता उस स्थान पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। कई ग्रंथों में उल्लेख है कि जब भक्त घंटा बजाता है, तो वह अपने मन, वाणी और कर्म को एकाग्र करके भगवान की पूजा में प्रवेश करता है। स्कंद पुराण और अग्नि पुराण जैसे ग्रंथों में उल्लेख है कि मंदिरों में घंटा बजाना मंगलकारी होता है।
इतिहास: प्राचीन मंदिर स्थापत्य का हिस्सा
मंदिरों में घंटा लगाने की परंपरा प्राचीन भारत के मंदिर स्थापत्य विज्ञान का हिस्सा है। दक्षिण भारत के कई चोल और पल्लव वंश के मंदिरों में बड़े-बड़े घंटे पाए गए हैं। यह परंपरा बाद में पूरे भारत में फैल गई और शैव, वैष्णव और शक्त संप्रदायों ने इसे अपनाया।
वैज्ञानिक कारण: ध्वनि तरंगों का प्रभाव
- घंटा बजाने का वैज्ञानिक आधार भी है, जो न सिर्फ वातावरण को पवित्र करता है बल्कि मानव शरीर और मस्तिष्क पर भी सकारात्मक असर डालता है:
- मंदिरों में लगे घंटे की ध्वनि की आवृत्ति लगभग 60 से 70 हर्ट्ज होती है।
- यह ऐसी फ्रीक्वेंसी है जो मन को एकाग्र करने और मस्तिष्क की तरंगों को स्थिर करने में मदद करती है।
- जब हम घंटा बजाते हैं, तो यह ध्वनि 5 से 7 सेकंड तक गूंजती है और यह समय ध्यान (Meditation) की शुरुआत के लिए आदर्श होता है।
- इससे मस्तिष्क अल्फा अवस्था (Alpha State) में चला जाता है, जिससे मन शांत और एकाग्र होता है।
चक्रों का जागरण
- योग और आयुर्वेद के अनुसार, घंटा बजाने की कंपनें शरीर के सात चक्रों को प्रभावित करती हैं, विशेषकर अग्या चक्र और अनाहत चक्र को।
- ध्वनि तरंगें हवा में फैली हानिकारक सूक्ष्म जीवाणुओं और नकारात्मक ऊर्जा को भी नष्ट करती हैं।
- दक्षिण भारत में मंदिरों में महाघंटा या बेल विशेष रूप से नवरात्रि और विशेष पूजा अवसरों पर बजाई जाती है।
- कुछ स्थानों पर सोने, चांदी या पंचधातु से बनी घंटियाँ विशेष शक्तिशाली मानी जाती हैं।