सावन (Sawan 2024) का पावन महीना चल रहा है। सावन का महीना पूरी तरह से देवों के देव महादेव को समर्पित है। महादेव अपने भक्तों का बहुत ही ख्याल रखते हैं और महज एक लोटे जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। हम और आपने लोगों को त्रिपुंड तिलक (Tripund Tilak) लगाते हुए देखा है और कई बार हम भी त्रिपुंड तिलक लगाते हैं, लेकिन त्रिपुंड तिलक के पीछे क्या मान्यता है, इसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते होंगे। आज हम सावन के इस विशेष लेख में इसी पर बात करेंगे…
सावन में त्रिपुंड का है खास महत्व
त्रिपुंड तिलक का महत्व सावन में विशेष है। हरिद्वार के जाने-माने ज्योतिषी श्रीधर शास्त्री के अनुसार त्रिपुंड में भगवान शिव का वास होता है और भगवान शिव के अलावा इसमें अन्य 27 देवताओं का भी वास होता है। त्रिपुंड तिलक लगाने से देवी और देवतागण बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।
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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार त्रिपुंड सिर्फ माथे पर ही नहीं, बल्कि शरीर के कई हिस्सों जैसे दोनों बाजू आदि पर लगाने का विधान है। त्रिपुंड तिलक लगाने से शत्रुओं का नाश होता है और इच्छाएं पूरी होती हैं। भगवान शिव की पूजा से पहले त्रिपुंड अवश्य लगाना चाहिए।
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त्रिपुंड की तीन रेखाओं में 27 देवताओं का वास
शास्त्री जी के मुताबिक महादेव भी त्रिपुंड तिलक लगाते हैं। त्रिपुंड तिलक में तीन रेखाएं होती हैं और प्रत्येक रेखाओं में 9 देवताओं का वास होता है। इस प्रकार त्रिपुंड में कुल 27 देवताओं का वासा होता है। त्रिपुंड तिलक लगाने से सकारात्मकता बनी रहती है और मन शांत रहता है। शिव महापुराण त्रिपुंड तिलक को शरीर के 32 अलग-अलग भागों में लगाने का विधान बताया गया है।