Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष में क्यों नहीं खरीदी जाती हैं नई वस्तुएं?

सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस अवधि में पूर्वजों को याद करके उन्हें तर्पण दिया जाता है ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके। इस दौरान पूर्वजों की पसंद को ध्यान में रखकर व्यंजन बनाए जाते हैं। इसके अलावा इस दौरान स्नान, दान, ध्यान का भी विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के 16 दिनों के दौरान पूर्वज पृथ्वी पर आते हैं और अपने कुटुंब को आशीर्वाद देते हैं। वहीं, पितृ पक्ष में नई वस्तुओं जैसे- कपड़े, ज़मीन या फिर आभूषणों की खरीदारी वर्जित मानी जाती है।

मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान केवल पूर्वजों को याद करना चाहिए हैं क्योंकि नई वस्तुओं को खरीदने से पितृ दोष लगता है इसलिए इस दौरान खरीदारी नहीं करनी चाहिए। ऐसे में मान्यता है कि इस दौरान हमारा पूरा ध्यान उनके श्राद्ध कर्म की तरफ होना चाहिए। नई वस्तुएं खरीदने से हमारा ध्यान भटक सकता है जिससे पितरों की आत्मा को कष्ट पहुंच सकता है और वे नाराज़ हो सकते हैं। इसलिए इस दौरान नई वस्तुओं की खरीदारी और उनका उपयोग सही नहीं माना जाता है।

वहीं, कुछ लोग ये भी मानते हैं कि इस दौरान खरीदी गई वस्तुएं पितरों को समर्पित होती हैं, ऐसे में जीवित लोगों का उन वस्तुओं का इस्तेमाल करना सही नहीं होता।  पितृपक्ष में इन सब चीजों को खरीदने या फिर उनका सेवन करने से पितृ लोक में पितरों को कष्ट भुगतना पड़ता है।

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लोहे खरीदना होता है वर्जित

श्राद्ध के समय भूलवश भी लोहे या उससे बने सामान को नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा मान्यता है कि पितृ पक्ष में लोहे से निर्मित वस्तुओं को खरीदने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ सकता है और संबंधित व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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इन चीज़ों का भी नहीं करना चाहिए प्रयोग

पितृ पक्ष के दौरान स्नान के समय उबटन, साबुन और तेल आदि प्रयोग नहीं करना चाहिए। मांस, लहसुन-प्याज, शराब, सिगरेट का भी सेवन वर्जित होता है। इसके अलावा, नए जूते और चप्पल भी नहीं खरीदने चाहिए।

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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर उत्तरदायी नहीं है।

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