Mahakumbh 2025: क्या है महाकुंभ, क्यों लगता है यह, जानिए इसकी विशेषता और महत्व

भारत एक ऐसा देश है जहां धर्म और संस्कृति का गहरा संबंध है। प्राचीन काल से ही यहां कई ऐसे त्योहार और आयोजन होते आए हैं, जो हमारी समृद्ध परंपरा और आध्यात्मिकता को दर्शाते हैं। इन्हीं में से एक है महाकुंभ मेला, जो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अपनी दिव्यता और विशालता के लिए प्रसिद्ध है। यह आयोजन धर्म, श्रद्धा और सामाजिक समरसता का प्रतीक है।

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महाकुंभ क्या है?

महाकुंभ भारत में आयोजित होने वाला एक अद्वितीय और विशाल धार्मिक मेला है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक समागम माना जाता है, जहां लाखों श्रद्धालु और साधु-संत एकत्र होकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि महाकुंभ में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मेले में साधु-संतों के अखाड़े, योगी, नागा साधु और आम श्रद्धालु एक साथ शामिल होते हैं।

महाकुंभ कब और क्यों लगता है?

महाकुंभ हर 12 वर्षों में आयोजित होता है। यह चार स्थानों – हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक – में बारी-बारी से लगता है। इसके आयोजन की तिथियां और स्थान खगोलशास्त्र और हिंदू ज्योतिष शास्त्र के आधार पर तय होते हैं। बारह वर्ष बाद जब बृहस्पति वृष राशि में आते हैं तो वृष राशि के बृहस्पति की उपस्थिति में कुम्भ महापर्व आयोजित होता है।

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महाकुंभ का आयोजन पौराणिक कथाओं पर आधारित है। यह समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा है, जिसमें देवताओं और असुरों ने अमृत कलश प्राप्त किया था। अमृत कलश को लेकर हुए संघर्ष में अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिरीं, और इन्हीं स्थानों को महाकुंभ मेले के आयोजन के लिए पवित्र माना गया।

महाकुंभ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

  • आध्यात्मिक शुद्धि: महाकुंभ में गंगा, यमुना और पवित्र सरस्वती जैसी नदियों में स्नान को आत्मा की शुद्धि और पापों से मुक्ति का मार्ग माना जाता है।
  • सामाजिक एकता: यह मेला धार्मिक और सामाजिक एकता का प्रतीक है, जहां जाति, धर्म, और क्षेत्र की सीमाएं मिट जाती हैं। सभी श्रद्धालु समान रूप से पूजा और स्नान करते हैं।
  • संतों से मिलन: महाकुंभ साधु-संतों और ऋषि-मुनियों से मिलने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है। उनके आशीर्वाद और उपदेश श्रद्धालुओं के जीवन को दिशा देते हैं।
  • धार्मिक प्रचार: महाकुंभ धार्मिक ग्रंथों और परंपराओं के प्रचार का प्रमुख माध्यम है। यह आयोजन नई पीढ़ी को धर्म और संस्कृति के महत्व से अवगत कराता है।

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