Satyanarayan Ashtakam: श्रीसत्यनारायणाष्टकं

आदिदेवं जगत्कारणं श्रीधरं लोकनाथं विभुं व्यापकं शङ्करम् । सर्वभक्तेष्टदं मुक्तिदं माधवं सत्यनारायणं विष्णुमीशम्भजे ॥ १ ॥ सर्वदा लोककल्याणपारायणं देवगोविप्ररक्षार्थसद्विग्रहम्। दीनहीनात्मभक्ताश्रयं सुन्दरं सत्य ॥ २ ॥ दक्षिणे यस्य गङ्गा शुभा शोभतेऔर पढ़ें

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