Ekadashi Mata Ki Aarti : एकादशी माता की आरती

एकादशी माता की आरती ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता। विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥ ॐ जय एकादशी…॥ तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदानऔर पढ़ें

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Navgrah Ki Aarti : नवग्रह की आरती

नवग्रह आरती आरती श्री नवग्रहों की कीजै । बाध, कष्ट, रोग, हर लीजै ।। सूर्य तेज़ व्यापे जीवन भर । जाकी कृपा कबहुत नहिं छीजै ।। रुप चंद्र शीतलता लायेंऔर पढ़ें

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Arti Maa Saraswati Ji : माँ सरस्वती जी की आरती

माँ सरस्वती जी की आरती जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता । सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता ॥ जय जय सरस्वती माता…॥ चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी । सोहे शुभऔर पढ़ें

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Shri Ramayan Ji Ki Aarti: श्री रामायणजी की आरती

श्री रामायणजी की आरती  आरती श्री रामायण जी की । कीरति कलित ललित सिय पी की !!  गावत ब्रहमादिक मुनि नारद । बाल्मीकि बिग्यान बिसारद !!  शुक सनकादिक शेष अरुऔर पढ़ें

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Bhairava Ji Ki Aarti: भैरव जी की आरती

श्री भैरव आरती जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा जय काली और गौर देवी कृत सेवा || जय भैरव || तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक भक्तो के सुखऔर पढ़ें

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Ganesh Ji Ki Aarti: गणेश जी की आरती

गणेश जी की आरती जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।। एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी, माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।  पान चढ़े, फूल चढ़ेऔर पढ़ें

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Ambe Gauri Mata Ji Ki Arti: अंबे गौरी माता जी की आरती

अंबे गौरी माता जी की आरती जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | तुमको निशि दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ||  (जय अम्बे गौरी) मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमदऔर पढ़ें

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Shani Dev Ji Ki Aarti: शनिदेव जी की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी । सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥ ॥ जय जय श्री शनिदेव..॥ श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी । नीलाम्बर धार नाथ गजऔर पढ़ें

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Krishna Ji Ki Aarti: श्री कृष्ण जी की आरती

आरती कुंजबिहारी की। श्री गिरधर कृष्णमुरारी की।। गले में बैजयन्ती माला। बजावै मुरली मधुर बाला।। श्रवन में कुण्डल झलकाला। नन्द के आनन्द नन्दलाला।। गगन सम अंग कांति काली। राधिका चमकऔर पढ़ें

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Shankar Ji Ki Aarti: शंकर जी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुजऔर पढ़ें

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