सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। भगवान श्रीहरि विष्णु और देवताओं के गुरु माने जाने वाले बृहस्पति का गुुरुवार के दिन पूजा और व्रत करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो जातक इस दिन भगवान नारायण और देव गुरु बृहस्पति की आराधना करते हुए व्रत रखते हैं उसे कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। गुरुवार के दिन पीले फूलों, पीले वस्त्र, तुलसी के पत्ते, अक्षत (चावल), धूप, दीप, पंचामृत, नैवैद्य आदि से पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा विष्णु मंत्र या गुरू मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है। इस दिन भगवान विष्णु और केले के पेड़ की पूजा की जाती है।
गुरुवार व्रत विधि
इस दिन प्रात: काल उठकर स्नान इत्यादि से निवृत होने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति को स्नान कराकर उसे हल्दी से साफ करें। आपके पास अगर मूर्ति नहीं है तो भगवान की फोटो पर थोड़ा सा जल और हल्दी डाल दें और उसे साफ कर लें। इसके बाद भगवान की मूर्ति को पीले कपड़े पर रखें क्योंकि इस दिन पीली चीज़ों का खास महत्व होता है और यह शुभ माना जाता है। इसके बाद भगवान को हल्दी युक्त पीले चावल अर्पित करें और मंत्रों व श्लोकों का जाप करने के पश्चात गुरुवार व्रत कथा का पाठ करें।
पूजा के दौरान घी का दीपक जलाएं और पीले रंग की मिठाई बनाएं जिसे भगवान विष्णु व बृहस्पति को इसका भोग लगाएं। साथ-ही- साथ भगवान को चावल और चना दाल भी चढ़ाएं। इस दिन व्रत करने वाले लोगों को भी पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए और पूजा करने के बाद ही भोजन करना चाहिए। वहीं, अगर संभव हो सके तो केले के पेड़ की पूजा करें और उसके सामने घी का दीपक जलाएं। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा के पश्चात भगवान को गुड़, पीला कपड़ा, चने की दाल और केला अर्पित करें और इन सभी वस्तुओं को गरीबों में दान करें।
16 गुरुवार व्रत होता है शुभ
गुरुवार का व्रत वैसे तो आप आजीवन या संकल्प के अनुसार कर सकते हैं और कुछ जातक इस व्रत को 1, 3, 5 या 7 बार रखते हैं परंतु 16 गुरुवार का व्रत करना शुभ माना जाता है। 16 गुरुवार तक व्रत रखने के बाद इसका उद्यापन करना चाहिए। यदि पुरुष यह व्रत रखते हैं तो वे लगातार यह व्रत रख सकतें हैं। वहीं, महिलाएं मासिक धर्म (माहवारी) के दौरान व्रत को छोड़ सकती हैं। शुद्ध होने के बाद अगले हफ्ते व्रत को पूरा किया जा सकता है।
कब से आरंभ करना चाहिए गुरुवार व्रत
इस व्रत को आप किसी भी मास (पौष माह को छोड़कर) के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से आरंभ कर सकते हैं परंतु अनुराधा नक्षत्र वाले गुरुवार से इस व्रत का आरंभ करना शुभ माना जाता है। इससे देव गुरु बृहस्पति देवता की कृपा प्राप्त होती है लेकिन पौष मास में इस व्रत की शुरुआत न करें। यदि आप पहले से ही यह व्रत कर रहे हैं तो पौष माह में व्रत और पूजन किया जा सकता है परंतु इस माह से गुरुवार व्रत करने का संकल्प नहीं लेना चाहिए।
गुरुवार के दिन इन मंत्रों का करें जाप
विष्णु का गायत्री मंत्र: पूजा अर्चना के बाद विष्णु के गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए जिससे मन को शांति मिलती है और सभी कष्ट दूर मिट जाते हैं।
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
विष्णु मंत्र: सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए गुरुवार के दिन श्रीहरि के विष्णु मंत्र का जाप करना चाहिए।
ओम नमो भगवते वासुदेवाय।
कृष्ण अवतार मंत्र: इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के अवतार मंत्र का जाप करना चाहिए।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी। हे नाथ नारायण वासुदे
धन प्राप्ति के लिए सबसे पुराना ऋग्वेद मंत्र है
ओम भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ओम भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
इस व्रत को रखने के लाभ
- ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने पर कुंडली से पितृदोष समाप्त हो जाता है।
- आपके कुंडली में अगर अल्पायु यानि कम उम्र का योग है तो गुरुवार के दिन व्रत रखने से वो भी खत्म हो जाता है।
- इस दिन श्रीहरि विष्णु का व्रत रखने से भाग्योदय होता है विश्व के पालनकर्ता विष्णु जी की कृपा बनी रहती है।
- धन की समस्या परेशान लोगों को निश्चित ही गुरुवार का व्रत रखना चाहिए।
- गुरुवार का व्रत अत्यंत फलदायी है इस व्रत को रखने से लाभ अवश्य होता है और सभी बिगड़े कार्य सफल हो जाते हैं।
- गुरुवार के दिन व्रत रखने से जातक के मान और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
- निरंतर सात गुरुवार के दिन का व्रत रखने और गुरु ग्रह की पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति ग्रह से संबंधित सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- जिन जातकों के विवाह में विलंब हो रहा है उन्हें यह व्रत जरूर रखना चाहिए।
- इस व्रत को करने से श्रीहरि विष्णु के संग मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है जिससे धन संबंधी सभी दिक्कतें समाप्त हो जाती हैं।