
Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि 2025 एक दुर्लभ खगोलीय और आध्यात्मिक संयोग लेकर आ रही है। 26 फरवरी को त्रिवेणी संगम में होने वाले स्नान का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा, क्योंकि इस दिन बुधादित्य योग और त्रिग्रही योग जैसे दिव्य योग बन रहे हैं। श्रवण नक्षत्र के प्रभाव में होने वाली यह महाशिवरात्रि 31 वर्षों के बाद एक विशेष ऊर्जा प्रवाह उत्पन्न करने जा रही है, जिसमें श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पवित्र डुबकी लगाएंगे।
Maha Shivratri 2025: त्रिग्रही योग और बुधादित्य योग का विशेष संयोग
इस दिन सूर्य, बुध और शनि तीनों एक साथ कुंभ राशि में स्थित होंगे, जिससे अमृत स्नान का महायोग बनेगा। इसके अतिरिक्त, श्रवण नक्षत्र की उपस्थिति और 31 वर्षों बाद बनने वाले त्रिग्रही एवं बुधादित्य योग से यह पर्व और भी प्रभावशाली बन जाएगा।
Mahashivratri 2025: महासंयोग से चमकेगा इन राशियों के जातकों का भाग्य
ज्योतिष के अनुसार, जब ये विशिष्ट ग्रह संयोग किसी धार्मिक पर्व पर बनते हैं, तब वह अवसर अत्यंत फलदायी हो जाता है। इस महाशिवरात्रि पर ग्रहों की यह स्थिति तीर्थ स्नान, दान-पुण्य और आध्यात्मिक अनुष्ठानों को विशेष फल देने वाली होगी। 26 फरवरी को सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में, जबकि चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे। इसके अलावा शुक्र और राहु मीन राशि में स्थित होंगे। मंगल मिथुन राशि में प्रभावी होगा। बृहस्पति वृषभ राशि में विद्यमान रहेगा।
Mahashivratri 2025: 26 या 27 कब है महाशिवरात्रि, जानें शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम
इस विशेष योग के कारण, इस वर्ष महाशिवरात्रि का आयोजन श्रवण नक्षत्र, परिघ योग और शुभ शिव योग में होगा। यही कारण है कि यह अवसर आध्यात्मिक साधकों और शिवभक्तों के लिए अत्यंत फलदायी रहेगा। सात वर्षों बाद बुधवार के दिन यह पर्व आ रहा है, जिससे यह और अधिक महत्वपूर्ण बन गया है।
Maha Shivratri 2025: का ज्योतिषीय प्रभाव और लाभ
- मेष राशि के लोगों को अपने परिश्रम का पूरा फल प्राप्त होगा।
- मिथुन राशि के जातकों को उन्नति और सफलता के मार्ग खुलेंगे।
- सिंह राशि के लिए यह समय व्यापार और करियर में नए अवसर लेकर आएगा।
भगवान शिव की पूजा से इच्छाशक्ति का जागरण
शिव पुराण के अनुसार, चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अत्यंत कमजोर स्थिति में होते हैं। चूंकि भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया है, इसलिए इस दिन उनकी आराधना करने से मन और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
शिव उपासना से इच्छाशक्ति दृढ़ होती है, व्यक्ति में अदम्य साहस का संचार होता है और मानसिक स्थिरता बढ़ती है। विशेष रूप से, जो लोग मानसिक तनाव और अस्थिरता से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह दिन अत्यंत लाभकारी रहेगा।
महाशिवरात्रि 2025: पूजा और उपासना का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन निशीथ काल में पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष इसका 49 मिनट का विशेष मुहूर्त निम्नलिखित है:
- प्रथम प्रहर: शाम 6:43 बजे से रात 9:47 बजे तक
- द्वितीय प्रहर: रात 9:47 बजे से 12:51 बजे (27 फरवरी) तक
- तृतीय प्रहर: रात 12:51 बजे से सुबह 3:55 बजे (27 फरवरी) तक
- चौथा प्रहर: सुबह 3:55 बजे से 6:59 बजे (27 फरवरी) तक
- व्रत पारण का समय: सुबह 6:59 बजे से 8:54 बजे तक (27 फरवरी)