Pradosh Vrat 2025: मार्च का आखिरी प्रदोष व्रत आज, जानें पूजा विधि और मंत्र

Pradosh Vrat 2025: आज प्रदोष व्रत है, एक ऐसा आध्यात्मिक अनुष्ठान जो श्रद्धा और भक्ति से संपन्न किया जाता है। पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को यह व्रत संपन्न किया जाता है, जिसका धार्मिक दृष्टि से अत्यंत उच्च महत्व है।

Pradosh Vrat 2025: ऐसा कहा जाता है कि जो भी साधक इस व्रत को समर्पित भाव से करता है, उस पर भगवान शिव की विशेष अनुकंपा बरसती है। इस व्रत के प्रभाव से न केवल पारिवारिक जीवन में शांति, सुख और समृद्धि का संचार होता है, बल्कि साधक को उत्तम स्वास्थ्य का वरदान भी प्राप्त होता है। महादेव की कृपा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और समस्त कष्टों का निवारण संभव होता है।

Pradosh Vrat: प्रदोष व्रत करने से होती है संतान की प्राप्ति, मिलती है ग्रह दोषों से मुक्ति

इस व्रत के दौरान शिव उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है। भगवान शिव का अभिषेक, शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करना, आक के पुष्प चढ़ाना तथा दिव्य मंत्रों का जाप इस अनुष्ठान का अनिवार्य अंग होता है। प्रदोष व्रत की पूजा का सर्वाधिक शुभ समय ‘प्रदोष काल’ में होता है, जो संध्या और रात्रि के संधिकाल में आता है।

आइए जानते हैं कि इस माह का अंतिम प्रदोष व्रत किस तिथि को पड़ रहा है, इस पावन अवसर का शुभ मुहूर्त क्या होगा, और इस व्रत को करते समय किन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • स्नान एवं संकल्प: प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। तत्पश्चात भगवान शिव का ध्यान करते हुए श्रद्धा और भक्ति भाव से प्रदोष व्रत का संकल्प लें।
  • शिवलिंग की स्थापना एवं जलाभिषेक: पूजा स्थल को स्वच्छ करके वहाँ शिवलिंग स्थापित करें। उसके बाद शिवलिंग पर पवित्र जल, गंगा जल अथवा दूध से अभिषेक करें।
  • पूजन सामग्री अर्पण: अभिषेक के पश्चात बेलपत्र, आक के फूल, गुड़हल के फूल, मदार के फूल, धतूरा, चंदन, अक्षत, धूप और दीप अर्पित करें।
  • मंत्र जप: पूजन के दौरान भगवान शिव के शक्तिशाली मंत्रों का जाप करें, जैसे—

ॐ नमः शिवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

  • व्रत कथा का पाठ: पूजन के बाद प्रदोष व्रत की कथा का श्रवण करें या स्वयं पढ़ें, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो।
  • आरती एवं भोग अर्पण: पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती करें और उनके प्रिय भोग जैसे दूध, फल, मिष्ठान या पंजीरी अर्पित करें।
  • शिव परिवार की पूजा: भगवान शिव के साथ माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय एवं नंदी की भी पूजा करें, जिससे संपूर्ण शिव परिवार का आशीर्वाद प्राप्त हो।
  • व्रत पारण: अगले दिन प्रातःकाल पुनः स्नान करने के पश्चात व्रत का विधिपूर्वक पारण करें और गरीबों व जरूरतमंदों को अन्नदान करें।

प्रदोष व्रत मुहूर्त और तिथि

दृक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 26 मार्च 2025 को रात्रि 1:42 बजे होगा और यह 27 मार्च को रात्रि 11:03 बजे समाप्त होगी। चूंकि प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का विशेष महत्व होता है, इसलिए यह व्रत 27 मार्च 2025, बुधवार को रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत मंत्र

श्री शिव रूद्राष्टकम

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाशवासं भजेहम्

निराकारमोङ्करमूलं तुरीयं
गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकालकालं कृपालं
गुणागारसंसारपारं नतोहम्

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभिरं
मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।
त्र्यःशूलनिर्मूलनं शूलपाणिं
भजेहं भवानीपतिं भावगम्यम्

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्दसंदोह मोहापहारी
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी

न यावद् उमानाथपादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं

न जानामि योगं जपं नैव पूजां
नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।
जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो

 

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