Pradosh Vrat 2024: बुध प्रदोष व्रत आज, जानें भगवान शिव व्रतों में इसका क्यों है खास महत्व?

आज प्रदोष व्रत है। आज आषाढ़ महीने का प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। प्रदोष यानी त्रयोदशी तिथि की शुरूआत 3 जुलाई की सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर हुई है और इसकी समाप्ति 4 जुलाई की सुबह 5 बजकर 54 मिनट पर होगी। आज हम आपको बताएंगे कि भगवान शिव के व्रतों में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का विशेष स्थान क्यों है?

शिव को बेहद प्रिय है प्रदोष व्रत

भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होने वाले हैं। समस्त विधाओं के ईश और समस्त प्रणियों के नियन्ता हैं। पुत्र प्रप्ति के लिए भी शिव की उपासना शास्त्रों एवं पुराणों में वर्णित है। शिव पूजा, शिव मंत्र जप के साथ ही शिव व्रतों का भी विधान है। शिव व्रतों में सोमवार प्रदोष, एकादशी कृष्ण चतुर्दशी (शिवरात्रि) और पूर्णिमा के व्रत प्रसिद्ध हैं जो विभिन्न कामनाओंको पूर्ण करते हैं। इस सबमें पुत्र, सौख्य प्रप्तिकर प्रदोष व्रत विशेष प्रसिद्ध है।

Shiva Chalisa: शिव चालीसा

सोमवार, मंगलवार और शनिवार का होता है खास महत्व

प्रदोष काल (सार्यकाल) पूजनादि किये जाने से इसे प्रदोष व्रत कहते हैं। इसके करने से अत्यन्तिक रूप से सभी दोषों का निराकरण हो जाता है और मनोरथ पूर्ण होते हैं। इनमें भी प्रदोष के दिन सोमवार, मंगलवार या शनिवार आ जाने से विशिष्ट फल प्राप्त होता है।

इस व्रत का आरम्भ शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को जब शनिवार पड़े तब करना चाहिए। प्रत्येक त्रयोदशी को एक साल तक या हर शनिवार को पड़ने वाली चौबीस त्रयोदशियां होने तक या निरन्तर ऐसे ही तीनों ही प्रकार का व्रत करने का विधान है। इस दिन दिन भर उपवास व्रत कर, शिव पूजा के बाद सायंकाल एक समय भोजन करना चाहिए।

Shankar Ji Ki Aarti: शंकर जी की आरती

सूर्यास्त के बाद तीन मुहूर्त पर्यन्त जो त्रयोदशी हो उसी दिन यह व्रत करें। ऐसा हो तो दूसरे दिन प्रदोष व्रत करें। यदि दोनों दिन त्रयोदशी व्याप्ति सायंकाल हो तो जिस दिन अधिक व्याप्ति हो उस दिन प्रदोष व्रत करना चाहिए।

इस व्रत को करने से पुत्र न होने पर पुत्र प्राप्ति तथा पुत्र होने पर पुत्रादि का सर्वाधिक कल्याण होता है। सोमवार के प्रदोष व्रत तथा भौमावतार के प्रदोष का विशेष कर धन, यश, वृद्धि, विद्या, लाभ, सुख, संपत्ति, ऐश्वर्य, स्वर्गसुख एवं निष्काम भाव से करने पर शिवलोक की प्राप्ति होती है।

पुराणों में प्रदोष व्रत की महिमा बतलाने वाले अनेक आख्यान प्राप्त होते हैं। जिनमें करूणा वरूणालय भगवान आशुतोष शिव की भक्तों पर होने वाली सहज कृपा के विराट दर्शन होते हैं।

Related Posts

Karwa Chauth 2024: 21 नहीं 20 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा करवा चौथ, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

सनातन धर्म में विवाहित महिलाएं अक्सर पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इसी कड़ी में महिलाएं पंचांग के अनुसार प्रति वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थीऔर पढ़ें

Read more

October Month Vrat-Festival: नवरात्रि लेकर दीपावली तक, जानिए अक्टूबर में किस दिन पड़ेंगे कौन से व्रत और त्योहार

अंग्रेजी कैलेंडर के 10वें महीने अक्टूबर की शुरुआत हो चुकी है और सनातन धर्म को मानने वालों के लिए ये काफी महत्वपूर्ण महीना है। सनातन धर्म के लिहाज से देखेंऔर पढ़ें

Read more

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Jitiya 2024: कब है जितिया का पारण? 100 साल बाद गणेश चतुर्थी पर बन रहा महायोग, ये राशियां होंगी मालामाल सोमवती अमावस्या की रात जरूर करें ये एक काम सपने में देखी गई इन कुछ खास चीजों का मतलब घर में है तुलसी का पौधा तो भूलकर भी ना करें ये दो काम