
Rang Panchami 2025: भारत में त्योहार केवल उत्सव ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी होते हैं। होली के पांच दिन बाद आने वाली रंग पंचमी भी ऐसा ही एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर भारत के कई हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इस दिन रंगों और गुलाल से भगवान की आराधना की जाती है और वातावरण को आनंदमय बनाया जाता है। रंग पंचमी केवल एक उत्सव ही नहीं, बल्कि शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक भी है।
Rang Panchami 2025: रंग पंचमी कब मनाई जाती है?
रंग पंचमी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, जो होली के पांचवें दिन आती है। इस साल रंग पंचमी 19 मार्च यानी आज मनाई जा रही है।
Rang Panchami 2025: रंग पंचमी का पौराणिक महत्व
रंग पंचमी का संबंध केवल होली के रंगों से नहीं है, बल्कि यह सात्विक ऊर्जा और देवी-देवताओं की कृपा को आकर्षित करने का भी एक विशेष दिन माना जाता है।
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राजस और तामस प्रवृत्तियों का शुद्धिकरण
हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन वातावरण में सात्विकता बढ़ाने के लिए रंगों और गुलाल का प्रयोग किया जाता है। यह नकारात्मक शक्तियों को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होता है।
देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने का दिन
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंग पंचमी के दिन देवी-देवताओं को रंग अर्पित करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। यही कारण है कि इस दिन विशेष रूप से मंदिरों में पूजा-अर्चना की जाती है।
कृष्ण लीला से संबंध
रंग पंचमी का संबंध भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से भी जोड़ा जाता है। जब श्रीकृष्ण गोपियों के साथ रास रचाते थे और रंग खेलते थे, तब उस आनंदमयी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए यह त्योहार मनाया जाने लगा।
कैसे मनाई जाती है रंग पंचमी?
धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ
इस दिन विभिन्न मंदिरों में विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है। भक्तगण भगवान को रंग और गुलाल अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। होली की तरह ही इस दिन भी लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं, लेकिन इसमें पानी का उपयोग कम किया जाता है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में रंग पंचमी के अवसर पर विशेष शोभायात्राएं निकाली जाती हैं, जिनमें भक्त भक्ति गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं।