
सनातन धर्म में प्रत्येक महीने कोई न कोई व्रत, त्योहार या पर्व मनाया जाता है, जिनका अपना अलग महत्व होता है। इन्हीं में से एक व्रत है प्रदोष व्रत जिसे विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित माना गया है। यह व्रत प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और यह व्रत हर माह में दो बार पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं की मानेंतो इस व्रत को करने से भगवान शिव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
यदि यह प्रदोष व्रत शनिवार के दिन आता है तो यह शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसमें भगवान शिव के साथ न्याय के देवता शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस वर्ष का पहला प्रदोष व्रत शनिवार को होगा इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहेंगे। इस दिन शिव और शनिदेव दोनों की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
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तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष शनि प्रदोष व्रत की तिथि का प्रारंभ 11 जनवरी दिन शनिवार को प्रात: 8 बजकर 21 मिनट पर हो रहा है जबकि इसका समापन 12 जनवरी रविवार को सुबह 6 बजकर 33 मिनट पर हो जाएगा। उदया तिथि होने के चलते शनि प्रदोष व्रत 11 जनवरी दिन शनिवार को रखा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त संध्या 5 बजकर 43 मिनट पर शुरू हो रहा है और पूजा का ये शुभ मुहूर्त रात्रि 8 बजकर 26 मिनट तक रहेगा।
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व्रत की पूजा विधि
- शनि प्रदोष व्रत के दिन प्रात:काल जल्दी स्नान करके शिव जी की पूजा और व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद घर के मंदिर की साफ सफाई करनी चाहिए।
- पूजा की शुरुआत सर्वप्रथम गंगाजल अभिषेक से करनी चाहिए।
- इसके बाद शिवलिंग पर अक्षत (चावल), बेलपत्र (बिल्वपत्र), भांग, धतूरा, फूल, चंदन आदि अर्पित करना चाहिए।
- धूप और दीप जलाकर ‘ॐ नमः शिवाय’ या भगवान शिव के अन्य मंत्र का जाप करना चाहिए।
- शनि प्रदोष व्रत की कथा भी सुननी चाहिए।
- पूजा के समापन के समय कपूर या घी के दीपक से भगवान भोलेनाथ शिव शंभू की आरती करनी चाहिए।
- अंत में भगवान शिव से आशीर्वाद मांगना चाहिए।
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
शनि प्रदोष व्रत का महत्व और महिमा का वर्णन शिव पुराणों में देखे को मिलता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत और पूजा-अर्चना करता है उसके जीवन के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा उसे आरोग्य भी प्राप्त होता है। मान्यताएं तो यह भी हैे कि शनि प्रदोष का व्रत और इस दिन भगवान शिव का पूजन करने से 100 गायों के दान करने के बराबर का पुण्य प्राप्त मिलात है। इस दिन व्रत और पूजन करने से सौभाग्य तो मिलता ही है बल्कि संतान की प्राप्ति के लिए भी यह शनि प्रदोष व्रत अति उत्तम माना गया है।
शनि प्रदोष व्रत के उपाय
भगवान शिव का अभिषेक करें
शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा में शिवलिंग का जलाभिषेक करें। इसके लिए कच्चा दूध, गंगाजल और शहद का उपयोग करें। साथ ही, शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग और धतूरा अर्पित करें।
शनिदेव से जुड़ी वस्तुओं का दान करें
इस व्रत के अवसर पर शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उड़द की दाल, काले चने और सरसों का तेल दान करें। ये वस्तुएं शनिदेव को अत्यंत प्रिय मानी जाती हैं।
काले तिल के लड्डू का दान और सेवन
व्रत के दिन किसी जरूरतमंद को काले तिल के लड्डू दान करें। साथ ही, स्वयं भी इनका सेवन करें, जिससे स्वास्थ्य लाभ और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो।
गरम वस्त्रों का दान करें
ठंड के मौसम में जरूरतमंदों को गरम कपड़े दान करें। यह न केवल पुण्य का कार्य है बल्कि न्याय के देवता शनिदेव की कृपा पाने का भी उत्तम उपाय है।
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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेख लोक मान्यताओं पर आधारित है। इस लेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए ज्योतिष सागर उत्तरदायी नहीं है।