Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा का महाभारत के रचयिता वेदव्यास से क्या है संबंध

भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में भगवान से भी बड़ा दर्जा अगर किसी को प्राप्त है तो वह हैं गुरु। भारत में गुरु-शिष्य परंपरा सदियों से चली आ रही है और आषाढ़ मास की पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ मास की पूर्णिमा को महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था और उनकी जयंती के रूप में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। गुरु पूर्णिमा को ही व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी।

चार वेदों का संकलन किया था

महर्षि वेदव्यास ने ही 4 वेदों का संकलन किया था और महाभारत की रचना भी की थी। उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। वेदों को सुव्यवस्थित करने वाले महर्षि वेदव्यास पराशर ऋषि और सत्यवती के पुत्र थे। वेदव्यास जी को भगवान श्री हरि विष्णु के 24 अवतारों में गिना जाता है। महर्षि व्यास भगवान नारायण के कलावतार माने जाते हैं। महर्षि वेदव्यास ने महाभारत के अलावा वेदों तथा पुराणों सहित अन्य कई महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी।

बौद्ध व जैन धर्म में भी है विशेष महत्व

गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। सनातन धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म में भी इस दिन का विशेष स्थान है। इस दिन भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपने पांच शिष्यों को अपना पहला उपदेश दिया था। इस दिन बौद्ध धर्मावलंबी भगवान बुद्ध और अपने आध्यात्मिक गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करके मनाते हैं। जैन धर्म में भी इस दिन का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इसे भगवान महावीर के प्रमुख शिष्य गौतम स्वामी की दीक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस तिथि में मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा

गुरु पूर्णिमा की तिथि 20 जुलाई को संध्या 5 बजकर 59 मिनट से शुरू होगी जो 21 जुलाई 3 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस तिथि को सूर्योंदय होता है वह तिथि मान्य मानी जाती है इस वजह से 21 जुलाई को ही गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा और व्रत भी इस दिन रखा जाएगा।

Disha Shool Vichar: यात्रा शुरू करने से पहले जरूर जानें

Related Posts

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति को खिचड़ी क्यों कहा जाता है? खिलजी और खिचड़ी की क्या है कहानी

मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे “खिचड़ी पर्व”और पढ़ें

Read more

Geeta Shloks: गीता के 5 श्लोक जो जीवन बदल सकते हैं, जरूर पढ़ें

भगवद्गीता को हिन्दू धर्म में जीवन का मार्गदर्शन करने वाली सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक माना गया है। इसके श्लोक न केवल आध्यात्मिक विकास के लिए हैं, बल्कि दैनिक जीवन के संघर्षोंऔर पढ़ें

Read more

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Jitiya 2024: कब है जितिया का पारण? 100 साल बाद गणेश चतुर्थी पर बन रहा महायोग, ये राशियां होंगी मालामाल सोमवती अमावस्या की रात जरूर करें ये एक काम सपने में देखी गई इन कुछ खास चीजों का मतलब घर में है तुलसी का पौधा तो भूलकर भी ना करें ये दो काम